उत्तर प्रदेश में इस साल हुए विधानसभा चुनाव की तरह नगर निकाय चुनावों में भी भारतीय जनता पार्टी ने एक तरफा जीत हासिल की है। मेयर की कुल 16 सीटों में से 14 भाजपा के पक्ष में रहीं जबकि अलीगढ़ और मेरठ की सीट पर बसपा ने कब्जा जमाया है। विपक्ष में बैठी प्रमुख पार्टी सपा और कांग्रेस का तो खाता भी नहीं खुल पाया है। हालांकि निकाय चुनाव योगी सरकारी वाली उत्तर प्रदेश में हुए हैं लेकिन इसका असर आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों में देखने को मिल सकता है। देश की राजनीति में धीरे—धीरे अपनी साख गंवाती जा रही विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को उत्तर प्रदेश के निकाय चुनावों में हार से बड़ा झटका लगा होगा। उत्तर प्रदेश के इन चुनावी नतीजों को देखते हुए गुजरात चुनावों में कांग्रेस अपनी पूरी ताकत झोंक देगी क्योंकि अब गुजरात विधानसभा चुनाव कांग्रेस और राहुल गांधी की साख व प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है।
यह बात तो सच है कि गुजरात विधानसभा चुनावों में कांग्रेस अपनी जीत का झंड़ा गाढ़ने के लिए जी—जान एक कर चुकी है लेकिन यह भी सच है कि उत्तर प्रदेश के निकाय चुनावों में एक तरफा जीत दर्ज कर बीजेपी ने अपनी पॉपुलर्टी देशभर में जता दी है। वैसे भी गुजरात हमेशा से भाजपा का गढ़ रहा है और अब उसमें सेंध लगाने की कांग्रेस की कोशिश हो रही है।
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राहुल गांधी और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी पूरे राजनीति अनुभव का लाभ उठाते हुए वहां के पाटीदारों को अपनी ओर मिलाने की पूरजोर कोशिश भी की है लेकिन उत्तर प्रदेश के चुनावी आंकड़ों वहां के लोगों में बीजेपी और पार्टी के नेताओं में आस्था रखने से अपने आपको रोक नहीं पाएंगे।
गौर करने वाली बात है कि मेयर की 16 सीटों में से 14 सीटों पर बीजेपी का कब्जा हो गया है। यानि 87 प्रतिशत से अधिक सीटों पर केवल बीजेपी का राज है। यह प्रसिद्धि क्या गुजरात चुनावों में बीजेपी का साथ नहीं देगी, जरूर देगी। राजस्थान में भी अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और गुजराज चुनावों का असर निश्चित तौर पर राजस्थान में भी पड़ेगा।
उत्तर प्रदेश में भले ही यह जीत के आंकड़े निकाय चुनावों के हैं लेकिन याद रहे कि विधानसभा चुनावों में भी भारतीय जनता पार्टी ने एक तरफा जीत हासिल की थी। अब गुजरात जहां से वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार 4 बार मुख्यमंत्री रहे, उस राज्य में कांग्रेस अपनी बची कुची साख कितनी बचा पाती है, यह देखने लायक होगा।