
जयपुर। राजस्थान के झालावाड़ में दलित युवक कृष्ण वाल्मीकि की हत्या का मामला अभी हर नेता की जुबां पर है। लेकिन क्या आप जानते हैं ? पीड़ित युवक की पिटाई आज से 5 दिन पहले हुई थी। एक सामान्य कहासुनी से उपजे विवाद के बाद उसे एक वर्ग विशेष के लोगों ने बड़ी बेरहमी से पीट-पीटकर अधमरा कर दिया था। हालांकि मामला उस समय भी सबके संज्ञान में था लेकिन प्रदेश का एक भी नेता उसके बचाव में आगे नहीं आया। ना ही अस्पताल में किसी नेता की तरफ से उन्हें कोई मदद मिली।
वसुन्धरा राजे ने बढ़ाया मदद का हाथ
कोटा से लेकर जयपुर के एसएमएस अस्पताल तक जब पीड़ित का परिवार बैड के लिए गुहार लगा रहा था। तब सूचना पाकर वसुन्धरा राजे ने उसके परिवार से संपर्क साधा तथा SMS अस्पताल में उसके लिए ICU की व्यवस्था की। वसुन्धरा राजे ने ही मामले में सक्रियता दिखाई, सांसद दुष्यंत सिंह के प्रयासों से प्रशासन पर दबाव बनाया तथा 6 आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार भी करवाया। इतना ही नहीं अस्पताल में भर्ती रहने तक वसुंधरा राजे के ऑफिस ने पीड़ित परिवार से लगातार संपर्क साधे रखा तथा उन्हें हरसंभव सहायता भी उपलब्ध करवाई। लेकिन लाख प्रयासों के बाद भी युवक की जान नहीं बचाई जा सकी।
मौत पर राजनीतिक हाहाकार
इधर जैसे ही युवक की मौत हुई, मानो राजनीति के गिद्धों का सपना ही साकार हो गया। खासतौर से भाजपा के हर एक नेता ने मामले को तूल देना स्टार्ट कर दिया तथा ट्विटर व फेसबुक पर हाय तौबा मचा दी गई। हालांकि पीड़ित जब जीवित था, तब इन नेताओं ने उस परिवार को एक वक्त की रोटी के लिए भी नहीं पूछा, लेकिन मरने के बाद तो जैसे इनके शरीर से कलेजा ही निकाल लिया गया हो।
राजस्थान के झालावाड़ में कृष्णा वाल्मीकि की पीट पीट कर , सागर कुरैशी, रईस , इमरान , अख्तर अली, इशु कुरैशी ने बेरहमी से हत्या कर दी …
दलित युवक की इस निर्मम हत्या पर कब चुप्पी तोड़ोगे @RahulGandhi जी ? pic.twitter.com/siHTaWH1TT
— Laxmikant bhardwaj (@lkantbhardwaj) July 7, 2021
हत्या पर राजनीति का काला चेहरा
ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि वसुंधरा राजे के अलावा क्या भाजपा के दूसरे नेता पीड़ित युवक की मौत का ही इंतजार कर रहे थे ? क्या हर संवेदनशील विषय पर राजनीति करना ही उनकी प्राथमिकता रह गई है ? क्या अपराध के समय आंख मूंदकर बैठना और मौका पाकर उसे धार्मिक रूप देना ही इन नेताओं की नियति बन गई है ? जवाब चाहे कुछ भी हो, लेकिन मौजूदा मामले से तो यह बात स्पष्ट है कि वसुंधरा राजे ही असल मुद्दों को समझकर तत्काल किसी पीड़ित की मदद का हाथ बढ़ा सकती है, बाकि नेताओं के लिए सामाजिक मतभेद सिर्फ और सिर्फ राजनीति का माध्यम है।