छत्तीसगढ़ राज्य का एक गांव देशभर में तीरंदाजों के गांव से अपनी खास पहचान रखता है। यहां एक से बढ़कर एक तीरंदाज अपने हुनर के साथ उभरे हैं और केवल 8 सालों में 122 मैडल अपने नाम किए हैं। इस गांव का नाम है शिवतराई, जिसे तीरंदाजों का गांव कहा जाता है। यहां के 50 तीरंदाज आठ साल में ओपन और स्कूल नेशनल में 122 मेडल जीत चुके हैं। यहांके तीरंदाजों का हुनर केवल इस बात से पता चलता है कि रायपुर के पॉपुलर साई सेंटर ने इस गांव के प्रसिद्धि सुनकर शिवतराई गांव जाकर एक स्पेशल ट्रायल लिया और पहले ट्रायल में 10 खिलाड़ी चुन लिए गए जिन्होंने 8 नवंबर को साई सेंटर ज्वॉइन किया। ट्रायल में 35 तीरंदाजों ने भाग लिया था। यह पहला मौका था, जब साई सेंटर ने किसी एक गांव के खिलाड़ियों के लिए अपनी टीम भेजी हो।
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लेकिन एक ही गांव से इतने तीरंदाज कैसे सामने आए, यह सवाल सभी की जुबान पर है। इसकी वजह है हैड कांस्टेबल इतवारी राज जो पिछले 10 सालों से गांव में तीरंदाजी की मुफ्त ट्रेनिंग दे रहे हैं। सबसे पहले उन्होंने यह कोशिश शौकियातौर पर की थी लेकिन एक खिलाड़ी मैडल जीतकर लाया तो उन्होंने इस ओर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया। इतवारी ने पहले अपनी सैलरी से सामान खरीदा। फिर इसके लिए 50 हजार कर्ज लिया। जब उनकी ट्रेनिंग का असर दिखा तो खेल विभाग भी मदद करने लगा। वर्तमान में उनके पास तीरंदाजी के 35 सेट उपलब्ध हैं। इतवारी के बेटे अभिलाष राज समेत चार खिलाड़ियों को प्रवीरचंद पुरस्कार भी मिल चुका है। यह छत्तीसगढ़ में तीरंदाजी का सबसे बड़ा पुरस्कार है। अभिलाष राज नेशनल चैंपियन भी हैं।
फिलहाल इतवारी राज गांव के 60 खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दे रहे हैं। इतवारी का कहना है कि खेल विभाग से उन्हें पूरी मदद मिल रही है लेकिन रिकर्व और कंपाउंड का सामान नहीं मिल सका है। इससे इस कैटेगरी के तीरंदाजों की ट्रेनिंग प्रभावित हो रही है और उनके मेडल जीतने का दावा कमजोर हो जाता है।