अभेद किला है वसुंधरा राजे का गढ़ झालरापाटन, जानिए क्यों टूट जाते हैं सभी जातिय समीकरण

    0
    124

    जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए आज यानी सोमवार से साथ नामांकन भरने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। नामांकन को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं की तैयारियां सामने आने लगी। बीजेपी की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के भी 4 नवंबर को अपनी विधानसभा सीट झालरापाटन से नामांकन भरने की बात सामने आ रही है। इसको लेकर अधिक से अधिक भीड़ जुटाने के लिए कार्यकर्ताओं ने कवायद शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि राजे की नामांकन रैली में काफी संख्या में समर्थकों की भीड़ उमड़ सकती है। आपको बता दें कि, वसुंधरा राजे झालरापाटन विधानसभा सीट से पिछले 20 सालों से लगातार विधायक रही हैं। उन्हें अभी तक किसी ने पराजित नहीं किया है।

    पिछले चुनाव में मिली थी शानदार जीत
    2018 में राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो झालरापाटन से भाजपा उम्मदीवार वसुंधरा राजे ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने 1,16,484 वोट हासिल किए थे। वहीं उनके प्रतिद्वंदी रहे कांग्रेस के मानवेंद्र सिंह को 81,504 वोट मिले थे। इस तरह राजे ने 34,980 वोटों से शानदार जीत दर्ज की थी।

    2003 से बढ़ता गया राजे की जीत का अंतर
    2003 में भाजपा ने वसुंधरा राजे को झालरापाटन से टिकट दिया था। तब उन्हें 72760 वोट मिले थे। उन्होंने कांग्रेस की रामा पायलट को 72701 वोटों से हराया था। इसके बाद राजे की जीत का अंदर बढ़ता ही चला गया। उन्होंने 2008 के चुनावों में कांग्रेस के मोहन लाल को 32581 वोटों से हराया था। 2013 में राजे ने इस सीट पर सबसे बड़ी जीत हासिल की थी और उन्हें 114384 वोट मिले थे। तब उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार मीनाक्षी चंद्रावत को 60 हजार से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी थी।

    राजे के आगे टूट जाते है सभी जाति के समीकरण
    झालरापाटन विधानसभ क्षेत्र में कई जातियां हैं, लेकिन यहां पर वसुंधरा राजे का नाम सबसे आगे है। चुनाव में उनके उतरते ही सभी जातिय समीकरण टूट जाते हैं और उनके पक्ष में एक तरफा वोटिंग होती है। यहीं कारण है राजे के खिलाफ कांग्रेस के मजबूत से मजबूत प्रत्याशी को भी हार का सामना करना पड़ता है।