राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को करीब 13 साल पुराने खासाकोठी होटल से बेशकीमती कालीन सीएम आॅफिस पहुंचने से पहले गायब हो जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। इस मामले में न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायाधीश नवीन सिन्हा की खंडपीठ ने हाल ही में सुनवाई की थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए याचिकाकर्ता की दायर याचिका खारिज कर दी है कि इस मामले में प्रर्याप्त सबूत नहीं है। कोर्ट ने आगे कहा कि मामले में पुलिस क्लोजर रिपोर्ट पहले ही दाखिल की जा चुकी है, लिहाजा नए आदेश जारी करने की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकरण में सीबीआई जांच से भी इंकार कर दिया है।
हाईकोर्ट ने भी खारिज की थी याचिका
इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। खासाकोठी होटल से सीएमओ के बीच कालीन चोरी मामले में मुख्यमंत्री राजे के साथ उनके ओएसडी धीरेन्द्र कमठान पर भी आरोप लगाए गए थे।
क्या है खासाकोठी कालीन मामला?
बेशकीमती कालीन गायब होने का मामला 2005-06 का है। उस वक्त राजस्थान के सीएम की कुर्सी वसुंधरा राजे के पास थी। सीएमओ के आदेश पर सरकारी होटल खासाकोठी से सीएम आॅफिस के लिए गए ईरानी शैली के 8 बेशकीमती कालीन मंगवाएं गए थे। लेकिन ये कालीन सीएम आॅफिस न पहुंचकर बीच में ही कहीं गायब हो गए थे। बेशकीमती कालीन कहां गए इसकी जांच के लिए मामला कोर्ट तक पहुंचा था। इस मामले में पीडब्ल्यूडी के अभियंता और होटल के अफसरों की संलिप्तता भी सामने आई थी।
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राजघराने ने दिए थे खासाकोठी होटल को कालीन
ये कालीन खासाकोठी होटल को जयपुर राजघराने की ओर से दिए गए थे। कालीने करीब 150 साल पुरानी थीं। इन्हें जयपुर के महाराजा सवाई राम सिंह ने बनवाई थी। ईरानी शैली के इन कालीनों की कीमत करीब 250 करोड़ रूपए बताई जाती है। बेशकीमती कालीने राज्य के गेस्ट हाउस के तौर पर इस्तेमाल किया किए जाने वाले खासाकोठी की शान हुआ करती थीं।
2009 में दर्ज करवाई गई थी एफआईआर
इस मामलें में 6 नवंबर, 2009 को पीडब्ल्यूडी विभाग के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर सत्येंद्र कुमार द्वारा अशोक नगर थाने में एक एफआईआर दर्ज कराई गई थी। कालीन गायब होने के मामले की एफआईआर में पीडब्ल्यूडी विभाग के तत्कालीन अधिशासी अभियंता राकेश भार्गव व मुख्यमंत्री के तत्कालीन ओएसडी धीरेन्द्र कमठान के खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया था।
कांग्रेस नेता ने दायर की थी याचिका
कालीन गायब होने के मामले में कांग्रेस नेता राम सिंह कस्वां ने याचिका दायर की थी। कस्वां ने एसएलपी में हाईकोर्ट के 2016 में दिए उन आदेशों को चुनौती दी थी जिनमें प्रार्थी की हाईकोर्ट मामले में लगाई गई एफआर को चुनौती देने वाली और मामले की सीबीआई जांच करवाने संबंधी याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
कांग्रेस मामले को उपचुनाव में मुद्दा बनाना चाहती थी लेकिन लगा तगड़ा झटका
विपक्षी दल के नेता राम सिंह कस्वां ने मुख्यमंत्री आवास से कालीन चोरी होने के आरोप लगाए थे। कांग्रेस ने इस बहाने सीएमओ पर निशाना साधा था। लेकिन उपचुनाव से पहले आए सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने केस दर्ज कर सीबीआई जांच से बिल्कुल साफ इंकार कर दिया है। कांग्रेस जल्द ही राजस्थान में रिक्त चल रही कुल तीन सीट, दो लोकसभा सीट, अलवर व अजमेर और एक विधानसभा सीट मांडलगढ़ पर होने वाले उपचुनावों में इस मामले को मुद्दा बनाने की तैयारी कर रही थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। ऐसे में उपचुनावों में मुख्यमंत्री राजे और बीजेपी को घेरने के लिए कांग्रेस के पास कोई बड़ा मुद्दा नहीं बचा है। कांग्रेस को इस मामले में सिर्फ निराशा हाथ लगी है।