प्रतापगढ़ मामले की सच्चाई: पुलिस से पहले मीडिया ने सुनाया फैसला, मृतक के नाम पर राजनीति करना शर्मनाक

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राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में हुई एक तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता की मौत से सभी दुखी है लेकिन प्रदेश की कुछ विरोधी ताकतें जब किसी की मौत का राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास करती है तो इससे ज्यादा शर्मनाक बात कुछ नही हो सकती। प्रतापगढ़ में तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता की मौत के बाद मीडिया के कुछ लोगों ने इसे मुख्यमंत्री राजे के खिलाफ इस्तेमाल कर रहे है। मीडिया के लोग बिना सबूत फेसले कर लेते है जबकि पुलिस अभी मामले की जांच कर रही है। मुख्य़मंत्री राजे ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा है कि उन्हे तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता की मौत से दुख पहुंचा है, उनकी मौत दुर्भाग्यपुर्ण है पुलिस मामले की जांच कर रही है और न्याय की जीत होगी।

मीडिया ने पुलिस से पहले सुनाया अपना फैसला

प्रतापगढ़ में एक तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता की दिल के दौरे से मौत हो जाती है और उसका दोष राजस्थान सरकार तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वकांक्षी स्वच्छ भारत अभियान को सिर पर मंढ़ दिया जाता है। इस कार्य को अंजाम देती है मीडिया। मीडिया के कुछ लोग जो बड़े बड़े दफ्तरों में बैठे है वो पुलिस और सरकार की जांच से पहले ही अपना फैसला सुना देते है और किसी मौत का जिम्मेदार सरकार को बना दिया जाता है।

मृतक के नाम पर हो रही है राजनीति

प्रतापगढ़ जिले में हुए एक तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता की मौत के बाद विपक्षियों ने मतृक के नाम को सरकार के खिलाफ मुद्दा बना लिया है। सामाजिक कार्यकर्ता की मौत के बाद मृतक परिवार के प्रति सांत्वना रखने के बजाय कुछ लोग दफ्तरों में बैठे-बैठे न्याय कर रहे है और अपना फैसला सुना रहे है। सवालात कई खड़े होते है लेकिन पुलिस की जांच से पहले किसी को आरोपी सिद्ध करना अनुचित है। न्याय प्रणाली पर विश्वास रखते हुए किसी भी नेता और व्यक्ति को इस प्रकार के निम्न कार्यों से बचना चाहिए। राजस्थान शांति और सौहार्द वाला प्रदेश है जहां इस प्रकार की घटनाओं के लिए स्थान नही है।

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तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता की मौत प्राकृतिक, घटनाक्रम से संबंध नही

प्रतापगढ़ में हुई तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता की मौत को लेकर उदयपुर आईजी ने कहा है कि प्राथमिक चिकित्सा जांच में सामने आया है कि मृतक की मौत ह्रदयाघात के कारण हुई है। पुलिस अधिकारी ने कहा कि मृतक की मौत का कारण किसी मारपीट या चोट के कारण नही हुई है जबकि मीडिया ने उसे पहले ही हत्या का मामला बता कर आरोपी भी निर्धारित कर रहे है। क्या देश का मीडिया अब यही काम करेगा? आईजी उदयपुर ने बताया कि तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता की हत्या का मामला तब तक सिद्ध नही होता जब तक जांच रिपोर्ट सामने नही आ जाती।

क्या है पूरा मामला

राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में स्वच्छ भारत अभियान के तहत नगरपरिषद आय़ुक्त अशोक जैन के साथ परिषद के कर्मचारी कमल हरिजन, रितेश हरिजन और मनीष हरिजन खुले में शोच के खिलाफ जागरूक करने के लिए एक बस्ती में गए थे। सरकारी आदेशों के तहत आयुक्त सहित टीम के लोग खुले में शोच करने वालों से समझाइश कर रहे थे लेकिन तभी कथित तौर पर सामाजिक कार्यकर्ता सहित कई लोगों ने नगर परिषद की टीम पर हिंसक हमला किया और राजकार्य में बाधा डाली। इस पर पुलिस पहुंची और मामला शांत करवाया। कुछ देर बाद पुलिस के पास सूचना पहुंची कि कथित तौर पर सामाजिक कार्यकर्ता ज़फर हुसैन की मौत हो गई है।

पुलिस कर रही है मामले की जांच

मृतक सामाजिक कार्यकर्ता के नाम का उपयोग करते हुए विरोधियों ने नगरपरिषद के कर्मचारियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करवाया दिया था। पुलिस ने प्राथमिकी रिपोर्ट के तौर पर हत्या का मामला दर्ज कर लिया है और मामले की जांच कर रह है। प्राथमिक चिकित्सा रिपोर्ट में सामने आया है कि मृतक की मौत हार्ट अटैक के कारण हुई है।

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