इस निर्णय से प्रदेश की हज़ारों उद्योग इकाइयों को मिलेगी राहत

0
1040
cm-raje

प्रदेश के हज़ारों लघु एवं मध्यम उद्योग उपक्रमों और राज्य के पर्यावरण की भलाई से सम्बंधित कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने राज्य पर्यावरण विभाग को पेटकोक के इस्तेमाल पर से पाबंदी हटाने के निर्देश दे दिए। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद पर्यावरण विभाग ने निर्णय दिया कि अब ईंधन के रूप में पेटकोक को राज्य में प्रतिबंधित करने की आवश्यकता नहीं है। दिनांक 16 मई 2017 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के दिए गए फैसले पर विमर्श कर और राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल (आरएसपीसीबी) से परामर्श लेकर मुख्यमंत्री राजे ने सम्पूर्ण राज्य के हित में यह फैंसला लिया।

राज्य के लिए नहीं हानिकारक:

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले और प्रदुषण बोर्ड के विशेषज्ञों से विमर्श के बाद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पेटकोक का ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने की स्वीकृति दी। विशेषज्ञों ने बताया कि प्रदेश की पर्यावरणीय संरचना को देखते हुए पेटकोक को प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिए। पेटकोक के इस्तेमाल से इसमें से कोयले की तुलना में कम राख निकलती है। राजस्थान के वातारण में धूल कण ज्यादा होने के कारण यहाँ कम राख उत्पादित करने वाले पेटकोक का इस्तेमाल पर्यावरण प्रदूषण रोकने के लिए कोयले की तुलना में बेहतर होगा।

national-green-tribunal

अनेक उद्योगों में ईंधन के रूप में प्रयुक्त:

सस्ता एवं पर्यावरण के लिए कम हानिकारक होने के कारण पेटकोक का उपयोग अनेक छोटे-बड़े उद्योग उपक्रमों में किया जाता है। राज्य में प्रमुखता से इसका उपयोग चूना भट्टों से लेकर सीमेंट, और कपडा आदि उद्योगों में ईंधन के रूप में किया जाता है। किफायती ईंधन होने से निर्मित होने वाले सामान पर लागत कम आती है।

मुख्यमंत्री राजे के आदेश के बाद पर्यावरण विभाग के इस निर्णय से प्रदेश की हजारों लघु एवं मध्यम इकाइयों को राहत मिलेगी। सस्ते ईंधन के उपयोग से सामान्य वस्तुओं की कीमत में बढ़ोतरी नहीं होगी।

हालांकि कुछ शर्तें है:

राज्य पर्यावरण विभाग ने पेटकोक के उपयोग पर लगा प्रतिबन्ध हटा लिया है लेकिन अब भी इस ईंधन का उपयोग करने के लिए कुछ शर्ते होगी। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) ने अपने फैंसले में उन उद्योग इकाइयों को तत्काल बंद करने का आदेश दिया था, जो बिना अनुमति पेट्रोलियम कोक पेटकोक का ईंधन के तौर पर इस्तेमाल कर रही हैं। अतः पेटकोक का ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए औद्योगिक संस्थानों को राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल से अनुमति लेनी होगी। इसके साथ ही पेटकोक को ईंधन के रूप में काम में लेने वाली औद्योगिक इकाइयों को इसके दहन से उत्सर्जित होने वाली हानिकारक सल्फर डाई ऑक्साइड गैस का समुचित प्रबंधन भी करना होगा। इसके उत्सर्जित पदार्थ का ठीक से निस्तारण करना होगा।

RESPONSES

Please enter your comment!
Please enter your name here