महाराष्ट्र में लागू होगा राजस्थान का मातृ शिशु स्वास्थ्य का ट्रिपल-ए मॉड़ल, मुख्यमंत्री राजे ने शुरु की थी अनूठी पहल

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    मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की पहल पर मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य तथा उनके पोषण स्तर में सुधार के लिए राजस्थान में लागू ट्रिपल कार्यक्रम को अब महाराष्ट्र भी अपनाएगा। महाराष्ट्र मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस ने राजस्थान के इस मॉडल की सराहना करते हुए इसे वहां भी लागू करने के निर्देश जारी कर दिए। फडनवीस ने अपने अधिकारियों को कहा है कि मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, पोषण, बाल विकास तथा प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं को एकीकृत करने की दिशा में राजस्थान ने अनुकरणीय पहल की है। एएनएम, आशा सहयोगिनी और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के गांवों में समन्वित रूप से काम करने के लिए तैयार राजस्थान का यह ट्रिपल मॉडल का प्रारूप महाराष्ट्र में भी अपनाया जाए।

    बारां-झालावाड़ में चल रहा है ट्रिपल मॉडल

    मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य तथा उनके पोषण स्तर में सुधार के लिए टाटा ट्रस्ट की सहयोगी संस्था अंतरा फाउंडेशन के साथ मिलकर झालावाड़ एवं बारां में ट्रिपल मॉडल पर अक्षदा कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है।  अंतरा के संस्थापक निदेशक अशोक अलेक्जेंडर ने बताया कि दोनों जिलों के सभी गांवों के लिए मैपिंग का कार्य पूरा कर लिया गया है, जिसके द्वारा किसी भी गांव की स्वास्थ्य एवं विकास संबंधी सूचना कम्प्यूटर पर एक क्लिक से प्राप्त की जा सकती है।

    टाटा ट्रस्ट एवं अंतरा फाउण्डेशन के बीच अक्षदा कार्यक्रम के एमओयू पर हस्ताक्षर

    प्रदेश में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार के लिए राज्य सरकार, टाटा ट्रस्ट एवं अंतरा फाउण्डेशन के बीच अक्षदा कार्यक्रम के एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया हैं। मुख्यमंत्री ने इस एमओयू का स्वागत किया और कहा कि अक्षदा कार्यक्रम प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव की मजबूत नींव रखने का काम करेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य एवं उनके पोषण स्तर में सुधार की यह भागीदारी प्रदेश को स्वास्थ्य संकेतकों की दिशा में देश के सर्वश्रेष्ठ राज्यों की श्रेणी में खड़ा करने का काम करेगी। उन्होंने आशा सहयोगिनियों को इस कार्यक्रम से सक्रियता से जोड़ने के लिये प्रेरित करने पर बल दिया।

    शिशु मत्यु दर में कमी लाने पर हैं ध्यान केंद्रित

    अक्षदा कार्यक्रम गर्भ धारण से शिशु के दो वर्ष की आयु पूरी करने तक की एक हजार दिन की अवधि के दौरान माता में खून की कमी दूर करने, शिशु मृत्यु दर में कमी लाकर प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर केन्द्रित होगा। फिलहाल यह कार्यक्रम राज्य के बारां-झालावाड़ तथा सिरोही जिलों में चलाया जा रहा हैं।  इसके बाद इस कार्यक्रम को अन्य जिलों में भी चलाने की योजना है। इस महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम को टाटा समूह के आर्थिक सहयोग से अंतरा फाउण्डेशन द्वारा क्रियान्वित किया जायेगा।

    यह कार्यक्रम राजस्थान में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के परिदृश्य में काफी बदलाव लायेगा। स्वास्थ्य जैसे क्षेत्र में निजी सहभागिता की राज्य सरकार की सकारात्मक सोच सराहनीय है। उन्होंने कहा कि इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम को निचले स्तर तक लागू करने के लिये अंतरा फाउण्डेशन प्रतिबद्धता के साथ कार्य करेगा।

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