राजस्थान: 29 जनवरी को होंगे 2 लोकसभा और 1 विधानसभा सीट पर उपचुनाव

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राजस्थान में जल्द ही उपचुनाव होने जा रहे हैं। प्रदेश में तीन सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव में अब करीब एक सप्ताह का समय और रह गया है। राजस्थान में होने जा रहे उपचुनाव प्रदेश की राजनीति के लिए कई मायनों में खास है। इन चुनावों के बाद इसी साल के अंत में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं। 15वीं विधानसभा के लिए होने वाले चुनावों के बाद 2019 में आम चुनाव भी होने हैं। ऐसे में जल्द ही होने वाले उपचुनाव में राजस्थान की जनता का अगले चुनावों में राजनीतिक रूख देखने में मदद मिलेगी। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही प्रमुख पार्टियों के लिए यह उपचुनाव किसी सेमीफाइनल से कम नहीं है। आइये जानते हैं राजस्थान उपचुनाव के बारे में थोड़ा विस्तार से… Assembly by election

अजमेर और अलवर संसदीय क्षेत्र में इन के बीच होगी चुनावी जंग Assembly by election

राजस्थान में कुल तीन सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव में दो संसदीय क्षेत्र अजमेर और अलवर है। भाजपा ने अजमेर सीट से पूर्व केन्द्रीय मंत्री सांवरलाल जाट के बेटे रामस्वरूप लांबा को अपना प्रत्याशी बनाया है। उनका मुकाबला राजस्थान कांग्रेस के वर्तमान उपाध्यक्ष डॉ. रघु शर्मा से होगा। वैसे तो दोनों ही पा​र्टीज तीनों सीटों पर जीत दर्ज करना चाहती है, लेकिन अजमेर लोकसभा सीट कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए ही नाक का सवाल बनी हुई है। बीजेपी जहां अपनी अजमेर सीट को बचाना चाहती है वहीं, अजमेर राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट का चुनावी क्षेत्र है। ऐसे में दोनों ही दलों के लिए अजमेर सीट सबसे हॉट सीट बनी हुई है। अगर कांग्रेस यहां चुनाव हारती है तो प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट का अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री प्रत्याशी के चेहरे के रूप में पेश किया जाना मुश्किल हो जाएगा। वहीं, बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर जीत दर्ज की थी वह नहीं चाहेगी कि अगले चुनावों से पहले उसकी सीट उसके ही हाथों से कांग्रेस के खाते में चली जाये।

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अलवर लोकसभा सीट पर बीजेपी ने वर्तमान राजस्थान सरकार में श्रम मंत्री जसवंत सिंह यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने पूर्व सांसद डॉ. करण सिंह यादव को टिकट देकर बड़ा दांव खेला है। अलवर सीट पर दोनों ही प्रमुख उम्मीदवार यादव समुदाय से संबं​ध रखते हैं। इसकी वजह भी साफ है कि यहां यादव वोटर्स की संख्या सबसे ज्यादा है। इस सीट पर अब तक हुए 16 लोकसभा चुनावों में से 8 बार यादव प्रत्याशी को जीत मिली है। यहां यादव वोटर्स की संख्या 3 लाख से ज्यादा है। मुस्लिम और एससी वोटर्स की संख्या भी यहां 3 लाख से ज्यादा है। वहीं, जाट वोटर्स 1.50 लाख से ज्यादा, ब्राह्मण 80 हजार, गुर्जर और राजपूत वोटर्स की संख्या भी 70—70 हजार के करीब है। इस सीट से 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी महंत चांदनाथ ने जीत दर्ज की थी। बीजेपी एक बार फिर से यह सीट अपने नाम करना चाहेगी। Assembly by election

मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर बीजेपी पड़ेगी कांग्रेस पर भारी Assembly by election

भीलवाड़ा जिले की मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर बीजेपी ने वर्तमान जिला प्रमुख शक्ति सिंह हाड़ा को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने 2013 के विधानसभा चुनाव में कड़ी हार का सामना करने वाले विवेक धाकड़ को ​एक बार फिर टिकट देते हुए बड़ा दांव खेला है। यहां धाकड़ वोटर्स की संख्या करीब 35 हजार है। लेकिन कांग्रेस के लिए अपनी ही पार्टी के बागी उम्मीदवार बड़ी मुसीबत बने हुए हैं। इस वजह से कांग्रेस के वोट बंटना तय माना जा रहा है। यह सीट 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के नाम थी। बीजेपी उम्मीदवार स्वर्गीय कीर्ति कुमारी ने यहां से बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी। यह सीट एक बार फिर बीजेपी के खाते में आती दिख रही है। बता दें, राजस्थान उपचुनावों के नतीजे 1 फरवरी, 2018 को आने हैं। Assembly by election

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