राहुल गांधी के प्रोटोकॉल में पायलट के अलावा नही पहुंचा कोई कांग्रेसी, एक बार फिर नज़र आई कांग्रेस की कलह

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    मध्यप्रदेश में किसानों का आंदोलन चल रहा है और विपक्षी या विरोधी इस किसान हवन में आग लगाने की कोशिस कर रहे है। जहां एक तरफ किसानों की मौत हो रही है तो तो कांग्रेस जैसी पार्टियों को अपनी रोटियां सेकने का अवसर मिल जाता है। खैर कांग्रेस पिछले 70 सालों से यही करती आई है। गुरूवार को भी कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कुछ यही किया है। राजस्थान में कांग्रेस अगला चुनाव राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में लड़ने जा रही है। राहुल गांधी गुरुवार को मध्यप्रदेश के मंदसौर में चल रहे किसान आंदोलन में जाने के लिए उदयपुर एयरपोर्ट पहुंचे, लेकिन यहां कांग्रेस की अंदरूनी फूट साफ तौर पर उजागर हो गई। प्रोटोकॉल के तहत राहुल गांधी का स्वागत करने के लिए सिर्फ पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट और नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी के अतिरिक्त कोई बड़ा नेता नहीं पहुंचा।

    कांग्रेस में चरम स्तर पर पहुंचा आपसी गुटबाजी

    असल में कांग्रेस में इन दिनों ज्यादा कुछ अच्छा नहीं चल रहा। कांग्रेस लगातार कह रही है कि भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार कोई काम नहीं कर रही। कानून व्यवस्था बिगड़ी हुई है। लेकिन इस बात को लेकर आपसी गुटबाजी में पूरी तरह से पार्टी विरोध नहीं कर पा रही। गुटबाजी का आलम यह है कि पार्टी सुप्रीमो राहुल गांधी जिनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाना है, उनके स्वागत में ही पायलट को छोड़कर कोई बड़ा नेता नहीं पहुंचा।

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    दिल्ली में आलाकमान ने बुलाई बैठक, गहलोत को दिया देशनिकाला

    मध्यप्रदेश के दिग्गज कांग्रेसी दिग्विजय सिंह के अलावा वहां के कई अन्य छोटे-बड़े नेता जरूर राहुल गांधी के स्वागत को पहुंचे तय है कि राजस्थान के कार्यकर्ताओं की भीड़ अपेक्षा से कम ही रही। हाल ही में राजस्थान में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं क आपसी फुट को देखते हुए राहुल गांधी ने नेता प्रतिपक्ष को सभी विधायकों के साथ दिल्ली बुलाई। इस बैठक का नतीजा यह निकला की राहुल गांधी ने खुद को राजस्थान में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को गुजरात भेज दिया।

    विपक्ष की भुमिका निभा पाने में अक्षम है कांग्रेस

    दिल्ली की बैठक के बाद पूर्व सीएम और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत और हाल में आरसीए सचिव चुने गए कांग्रेस के दिग्गज नेता सीपी जोशी ने राहुल के दौरे राजस्थान प्रवेश को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया। दोनों में से कोई भी उदयपुर राहुल गांधी से मिलने नहीं पहुंचे। राहुल गांधी के सामने आई फूट के बाद प्रदेश के आगामी चुनाव में कांग्रेस की हालत के बारे में जानकारों की राय पार्टी के लिए अच्छी नहीं है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पूरे देश से लगातार साफ हो रही कांग्रेस अब पूरी तरह विपक्ष की भूमिका भी निभाने में अक्षम दिखाई दे रही है। राजनीति में लगातार चर्चा में बने रहने से ही पार्टी और नेता का अस्तित्व बचा रहता है, लेकिन कांग्रेस किसी भी स्तर पर फिलहाल अपनी अंदरूनी लड़ाई के चलते फिट नहीं बैठ पा रही है।

    आपसी एकता दिखाने का किया था नाटक

    राहुल गांधी के राजस्थान के पूर्व दौरे और पार्टी प्रदेशाध्यक्ष के लंच-डिनर पार्टियों में कई बार ऐसा संदेश देने की कोशिशें की गई हैं कि पार्टी में एकता है। कई बार ऐसा जताया गया कि कोई गुट नहीं है। गहलोत, पायलट और जोशी के कोई अलग-अलग गुट नहीं है। सभी साथ होकर काम कर रहे हैं, लेकिन जिस तरह कांग्रेस की गुरुवार को फूट उजागर हुई है, उसने आगामी चुनाव की रणनीति को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि केवल पायलट जिस तरह से प्रदेशभर का दौरा कर रहे हैं, उससे काफी कुछ सुधार की उम्मीद की जा रही है, लेकिन सभी दिग्गजों के अलग-अलग तरह की राजनीति करने से प्रदेश के लोगों के बीच अच्छा मैसेज नहीं जा रहा।

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