ओलिव फार्मिंग देश का नया और बड़ा इनोवेशन है जिसका प्रोडक्शन देश में शुरू हो गया है। इजराइल के सहयोग से 2008 में ऑलिव फार्मिंग की शुरुआत हुई है। खास बात यह है कि आॅलिव फार्मिंग केवल राजस्थान में ही की जा रही है। पहला ओलिव आॅयल ब्रांड राज आॅलिव है जिसकी कीमत 600 रूपए प्रति लीटर तक मानी जा रही है। ऑलिव ऑयल के लिए राज्य सरकार ने देश में अपनी तरह की पहली ऑलिव रिफाइनरी भी बीकानेर में लगाई है। ओलिव आॅयल यानि जैतून का तेल, जिसकी इन दिनों देश में जमकर डिमांड हो रही है। इजराइल के सहयोग से शुरू की गई ऑलिव की 6-7 वेरायटी लाकर राजस्थान में लाकर इसकी फार्मिंग शुरू की। देश में अभी ओलिव की खेती केवल राजस्थान में ही हो रही है। जिन शहरों में ओलिव फार्मिंग हो रही है उनमें जयपुर, अलवर, नागौर, बीकानेर, जालौर और झुंझुनू जिले शामिल हैं। अब सरकारी जमीन के अलावा किसान भी इसकी खेती कर रहे हैं। अभी राजस्थान में करीब 200 हेक्टेयर सरकारी और 500 हेक्टेयर किसानों की जमीन पर ऑलिव की फॉर्मिंग हो रही है।
तीन संस्थाओं का ज्योइंट वेंचर है यह
पहले लोग ओलिव आॅयल यानि जैतून के तेल का इस्तेमाल केवल खाने के तौर पर किया करते थे। लेकिन अब इसके औषधीय गुणों की वजह से ब्यूटी प्रोडक्ट, साबुन व दवाईयों में भी इसका इस्तेमाल होने लगा है। ओलिव आॅयल की बढ़ती डिमांड को देखते हुए ही सरकार ने अप्रैल, 2007 में ओलिव फॉर्मिंग के लिए ROCL (राजस्थान ऑलिव कल्टिवेशन लिमिटेड) का गठन किया था। ROCL में राजस्थान स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड (RSAMB), फिनोलेक्स प्लास्सन इंडस्ट्रीज लिमिटेड (FPIL) और इंडओलिव लिमिटेड ऑफ इजराइल (IOLE) की बराबर की साझेदारी है।
लूणकरणसर में लगी है देश की पहली रिफाइनरी
ओलिव ऑयल के लिए राजस्थान सरकार ने बीकानेर के लूणकरणसर में देश की पहली रिफाइनरी लगाई है। वर्ष 2014 में लगाई गई इस रिफाइनरी की लागत 3.75 करोड़ रूपए आई है। किसानों की ओर से ऑलिव फॉर्मिंग बढ़ाने पर रिफाइनरी का इस्तेमाल बढ़ेगा। इस रिफाइनरी की क्षमता 5 टन प्रति घंटा है। अभी साल में केवल 30 दिन ही यह रिफाइनरी से प्रोडक्शन होता है। 2013 से 2016 के बीच करीब 12,000 किलो का प्रोडक्शन हुआ है जो औसतन 4000 लीटर प्रति वर्ष रहा है। यह देश का पहला ओलिव ऑयल ब्रांड होगा। अभी देश में करीब 14 हजार मीट्रिक टन सालाना ओलिव ऑयल की मांग है। अगले चार सालों में राजस्थान में कुल मांग का केवल 20 प्रतिशत प्रोडक्शन होगा जो करीब 20 हजार किलो सालाना तक हो सकता है।
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जल्दी मिलेगी ओलिव की ग्रीन टी
राजस्थान में अनुकूल माहौल होने से जैतून की खेती लाभकारी है। बढ़ती ओलिव आॅयल की मांग और लाभ को देखते हुए किसान भी अब ओलिव की खेती करने लगे हैं। बढ़ते प्रोडक्शन के साथ ही जैतून के पत्तों से तैयार ग्रीन टी भी देश में जल्दी पीने को मिलेगी। एशिया में पहली बार जैतून के पत्तों से ग्रीन टी राजस्थान में तैयार होगी। आॅलिव लीफ तैयार यह ग्रीन टी बॉडी में एंटी आॅक्सीडेंट का काम करेगी, साथ ही डायबिटीज के मरीजों के लिए भी फायदेमंद होगी। इसके लिए जयपुर जिले के बस्सी में प्लांट लगाया जाएगा।