न्याय आपके द्वार कार्यक्रम में ग्रामीण आपस में बैठकर राजीनामा करने के साथ-साथ फिर से पारिवारिक प्रेम व सौहार्द की तरफ अपने कदम शिद्दत के साथ बढा रहे हैं। मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे किसानों के हित में कार्यक्रम तथा नीतियां बनाकर कार्य कर रही है। इसी परिपे्रक्ष्य में यह अभियान शुरू किया गया है इसे काश्तकारों को राजस्व संबंधी प्रकरणों के शीघ्र निपटारे में मदद मिलेंगी।
50 सालों से चल रहे विवाद हुए खत्म
न्याय आपके द्वार से बहुत से मामलो का निपटारा हुआ है जो मामले 50 वर्षो से भी खिंचे आ रहे है उनका भी निपटारा हुआ है । इससे गरीब एवं किसान भाइयो को बहुत फायदा हुआ है उनके समय एवं धन की बचत हुई है । पहले उन्हें अदालत में जाना पड़ता था लेकिन न्याय आपके द्वार कार्यक्रम से उनके निपटारे जल्दी से एवं प्रेमभाव से हो रहे है । न्याय आपके द्वार’ कार्यक्रम के अंतर्गत राजस्व लोक अदालत अभियान ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रहा है। राजस्व लोक अदालतों से जहां लंबे समय से न्याय की आस लगाये फरियादियों को चन्द मिनटों में न्याय मिल रहा है, वहीं लोगों में न्याय व्यवस्था के प्रति सम्मान बढ़ रहा है। ऐसे में जहां भी ये अदालतें लगाई जा रही हैं वहां बड़ी संख्या में फरियादी पहुंच रहे हैं।
समझाइश से सुलझाए जा रहे हैं जमीनी प्रकरण
न्याय आपके द्वार अभियान के अन्तर्गत गत वर्ष आयोजित राजस्व लोक अदालतों को अभूतपूर्व सफलता मिली थी। इनमें नामान्तरकरण, राजस्व नकल, राजस्व अभिलेख में दुरूस्ती, खाता विभाजन, खातेदारी अधिकार, इजराय, सीमाज्ञान, पत्थरगढ़ी, रास्ते आदि से सम्बन्धित मामलों को समझाइश से सुलझाया गया था।
अब तक 523 पंचायतें हुईं वाद मुक्त
मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की पहल का असर है कि कचहरियों में मुद्दतों से चले आ रहे राजस्व विवाद अब हाथों-हाथ निपट रहे हैं और राजस्व लोक अदालत न्याय आपके द्वार अभियान शिविरों के जरिए बीते दो साल में करीब चालीस लाख राजस्व संबंधी प्रकरण आपसी समझाइश से सुलझाए जा चुके हैं। इन दो सालों में 69 लाख 89 हजार प्रकरणों का निस्तारण कर प्रदेश की कुल 523 ग्राम पंचायतों को वाद मुक्त किया जा चुका हैं। राज्य में वर्ष 2015 से शुरू हुए इस अभियान के सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं।
2016 में 18 लाख से ज्यादा प्रकरणों का हुआ निस्तारण
लोक अदालत की भावना के अनुरूप 2016 में 9 मई से 12 जून तक लगाए गए शिविरों में 18 लाख 63 हजार से अधिक राजस्व संबंधी प्रकरणों का आपसी समझाइश से निस्तारण किया गया है। साल 2016 में अब तक 35 दिन में 6023 कैम्प लगाकर बरसों पुराने ऐसे कई राजस्व प्रकरण हल किए गए हैं जो भाई-भाई के बीच विवाद की वजह थे या जिनकी वजह से एक गांव से दूसरे गांव के बीच रास्ते का विवाद बड़ा रूप ले सकता था। ये शिविर न केवल राजस्व अदालतों के लंबित प्रकरणों के बोझ को कम कर रहे हैं बल्कि रिश्तों में आई दरारों को पाटने का जरिया भी साबित हो रहे हैं।
गौरतलब है कि वर्ष 2015 में भी 18 मई से 30 जुलाई तक राजस्व लोक अदालत अभियान चलाया गया था जिसमें 21 लाख 20 हजार से अधिक राजस्व प्रकरण निस्तारित किए गए थे। वर्ष 2015 में 61 पंचायतों को वाद मुक्त किया गया था जबकि इस साल 12 जून तक 65 पंचायतें वाद मुक्त हो चुकी हैं। इस साल पाली की 19, झालावाड़ की 12, चित्तौड़गढ़ की 9, चूरू की 5, करौली की 4, टोंक की 3, नागौर, अलवर, भीलवाड़ा, सवाई माधोपुर, उदयपुर तथा जोधपुर की 2-2 तथा धौलपुर की 1 पंचायत वाद मुक्त बनी हैं।