राजधानी जयपुर में बन रहा हैं 5 लाख की आबादी के लिए 500 बेड वाला बड़ा अस्पताल, एसएमएस अस्पताल से कम होगा मरीजों का भार

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राजस्थान में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे प्रदेश की बुनियादी सुविधायों को पूरा करने में जूटी हैं। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान को शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क की आवश्यकताओं को पूरा किया हैं। इसी क्रम में मुख्यमंत्री राजे ने प्रदेश की राजधानी जयपुर में 500 बेड वाला बड़ा अस्पताल देकर चिकित्सा सुविधाओं में विस्तार किया हैं।

मेडिकल और इंजिनियरिंग की पढ़ाई होगी एक साथ

राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हैल्थ साइंस (आरयूएचएस) देश की दूसरी ऐसी यूनिवर्सिटी बनेगी, जिसमें मेडिकल के साथ इंजीनियरिंग के सब्जेक्ट भी पढ़ाए जाएंगे। कुछ ऐसे कोर्स भी होंगे जिनसे स्टूडेंट मरीज और मैनेजमेंट दोनों का ही फायदा ले सकेंगे। यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस के अलावा फायनेंस, ब्रेडिंग, मैनेजमेंट और हैल्थ मैनेजमेंट जैसे कोर्स होंगे। अभी तक केवल आईआईटी, खडगपुर में ही इस तरह की व्यवस्था है।

2018 तक होगा अस्पताल का पूरा काम, मरीजों का भार होगा कम

इसका उददेश्य है कि जो भी डॉक्टर्स हों, वे मरीज, मैनजमेंट और मशीनों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी रख सकें। इसके लिए यूनिवर्सिटी में तैयारियां शुरू कर दी गई हैं और भवन बनने का काम शुरू हो गया है। यूनिवर्सिटी एक और 500 बेड का अस्पताल बनाने जा रही है, जिसका करीब 60 फीसदी काम पूरा हो चुका है और इसे वर्ष 2018 में शुरू किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। इस अस्पताल के शुरू होने के साथ ही एसएमएस अस्पताल पर पड़ने वाला मरीजों का भार 30 फीसदी तक कम होने की संभावना है।

जयपुर के एक बड़े हिस्से के लोगों को मिलेगी बड़ी राहत
सीतापुरा, जगतपुरा, मालवीय नगर, प्रताप नगर, शिवदासपुरा, दुर्गापुरा, सांगानेर व मानसरोवर सहित टोंक रोड से लगती कॉलोनियों के करीब पांच लाख लोगों को जयपुरिया अस्पताल व 500 बेड के बनने वाले इस अस्पताल का फायदा मिलेगा। साथ ही बूंदी, टोंक, कोटा, झालावाड़ व बारां बूंदी से आने वाले रैफरल मरीजों को भी यहां भर्ती किया जा सकेगा। इन सभी से एसएमएस अस्पताल पर पड़ने वाला मरीजों का भार कम हो सकेगा।

डॉक्टर्स और स्टूडेंट को भेजा जा रहा हैं विदेश

स्टूडेंट को विश्वस्तरीय शिक्षा और जानकारियां मिल सकें, इसके लिए यहां के स्टूडेंट को रिसर्च स्कॉलरशिप के तहत विदेशी यूनिवर्सिटी में भेजा जा रहा है। वहीं एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत भी क्वींसलेंड यूनिवर्सिटी से अनुबंध हो चुका है और वहां के स्टूडेंट यहां आएंगे और यहां से वहां पढ़ने के लिए जाएंगे।

एनएएसी (नेक) की भी मिलेगी परमिशन

आरयूएचएस को यूजीसी की मान्यता मिल चुकी है और वर्ष 2017 में नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रीडेशन कौंसिल से मान्यता लेने का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही आरयूएचएस प्रदेश की पहली ऐसी ऑटोनोमस यूनिवर्सिटी बन जाएगी, जिसे यह मान्यता होगी।

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