
राज्य में महिलाएं बदलते राजस्थान की नई इबारत लिख रही हैं। वे सशक्त हो रही हैं, उनका पहनावा, उनकी सोच, उनका हाव-भाव और अंदाज सबकुछ बदल रहा है। अब कामकाजी जगहों पर महिलाएं ज्यादा नजर आने लगी हैं। महिला प्रोफेशनल्स की संख्या में भी इजाफा हुआ है। बीस साल पहले पंचायती राज और निकाय चुनावों में महिलाओं को प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिलना बदलाव की पहली छलांग थी, तब महिलाओं ने पहली बार घरों की दहलीज को लांघा, नेतृत्व किया।
बीस साल बाद पंचायती राज जैसी संस्थाओं में पचास फीसदी महिलाएं भागीदारी निभाने लगी हैं। विधानसभा, लोकसभा चुनावों में भागीदारी से लेकर एजुकेशन, ड्राइविंग, स्वरोजगार में महिलाएं साल दर साल खुद को दर्ज कर रही हैं। दैनिक भास्कर टीम ने राज्य में महिलाओं की स्थिति का सर्वे किया तो पता चला कि बीस सालों में हर क्षेत्र में महिलाओं की ताकत बढ़ी है। राज्य में महिलाओं की स्थिति में अप्रत्याशित बदलाव तो नहीं आया है, लेकिन जितना भी परिवर्तन दिखाई दे रहा है, उससे लगता है कि भविष्य की राह और बेहतर होगी।
ये रहे राजस्थान में महिला उत्थान के आंकड़े
शिक्षक : 30प्रतिशत महिला शिक्षकों की हिस्सेदारी
पहले 42.3% थी महिला टीचर्स, अब 68.03% हो गईं।
इंजीनियर्स : 26%बढीं महिला इंजीनियर्स
पहले 12% फिसदी थी महिला इंजिनियर्स, अब 38प्रतिशत है महिला इंजिनियर्स।
पुलिस : महिलाओं की भागीदारी में तीन गुना बढ़ी
पहले 3% थी हिस्सेदारी बढ़कर 9% हो गई।
बैंक खाते 58%
महिलाओंके बैंकों में खाते खुले।
20 साल पहले 5% महिलाओंके ही खाते थे।
20.4 से 52% पहुंची
पहले 12%थी अब 22% है
पहले 5% थीअब 30% है
पहले 15% थी अब 57% है
पहले 2.09 करोड़ अब 3.29करोड़
पब्लिक सेक्टर : 10%बढ़ी
ड्राइविंग लाइसेंस: 25%बढ़े
प्राइवेट नौकरी : 42%बढ़ी
आबादी : 1करोड़ बढ़ी
मकानों की रजिस्ट्री
23% बढ़ी 21% ही मकानों की रजिस्ट्री थी जो 44% हो गई
साक्षरता 32.2%बढ़ी
ऐसी बढ़ी महिला प्रोफेशनल
20 सालों में कितनी बदली महिलाएं
तीन वजह जिनसे और सशक्त होंगी महिलाएं
1. संपत्तिमें हिस्सा : संसदने संपत्ति में महिलाओं का हिस्सा सुनिश्चित करने वाले विधायक को मंजूरी दे दी है।
2. प्रतिनिधित्व: पंचायतीराज संस्थाओं निकायों में महिलाओं की 50 फीसदी भागीदारी तय हो चुकी है।
3. सख्तकानून : छेड़छाड़और दुष्कर्म जैसी घटनाओं में उम्र कैद मृत्युदंड तक की सजा का प्रावधान किया गया है।