जलीकट्टू: स्थायी समाधान के लिए उग्र हुआ प्रदर्शन, पुलिस के लाठीचार्ज से भड़की हिंसा, चेन्नई में स्कूलें हुई बंद

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    तमिलनाडु में जलीकट्टू पर लगी रोक हटाने के लिए अध्यादेश लाने के बाद भी लोगों का प्रदर्शन जारी है। चेन्नई के मरीना बीच पर पिछले 6-7 दिनों से जुटे प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने सोमवार सुबह वहां से जबरन हटा दिया। पुलिस ने पहले उन्हें प्रदर्शन खत्म करने के लिए समझाने की कोशिश की, लेकिन जब वे नहीं मानें, तो पुलिस को बल का इस्तेमाल करना पड़ा। प्रदर्शन कारियों ने एक थाने में भी आग लगा दी हैं। हालांकि लाठीचार्ज में प्रदर्शनकारी घायल भी हुए हैं। पुलिसकर्मी यहां जब इन प्रदर्शनकारियों को हटा रहे थे, तब वे लोग राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ गाने लगे। लाठीचार्ज के बाद पूरा इलाका खाली करा लिया गया है।

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    दिनोंदिन उग्र होता जा रहा हैं जलीकट्टू के लिए आंदोलन

    जलीकट्टू के समर्थन में आंदोलन धीरे-धीरे उग्र होता जा रहा है। पुलिस द्वारा जबरन हटाए जाने के बाद मदुरै के अलंगनल्लूर में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच जबरदस्त संघर्ष हुआ। चेन्नई में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस थाने के बाहर गाड़ियों में आग लगा दी। इस संघर्ष में 20 पुलिसवाले घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों ने पुलिसवालों पर पत्थरबाजी भी की। पुलिस के बल प्रयोग से 80 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए हैं। हिंसा को देखते हुए चेन्नई में स्कूल बंद कर दिए गए हैं।

    जल्लीकट्टू पर लाया जाएगा विधेयक

    तमिलनाडु के राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने कहा कि जन आंदोलन और भावनाओं के ज्वार के चलते जलीकट्टू पर लगा प्रतिबंध हटा दिया गया और तमिलनाडु सरकार विधानसभा में तत्काल प्रभाव से एक विधेयक लाएगी जो अध्यादेश की जगह लेगा

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    राज्यपाल सी. विद्यासागर ने यूपीए सरकार को ठहराया जिम्मेदार

    इस बीच सीएम पनीरसेल्वम ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि सोमवार को जलीकट्टू पर विधानसभा में बिल पेश किया जाएगा। वहीं प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज के खिलाफ विधानसभा से डीएमके ने वॉकआउट किया। लोकतांत्रिक रूप से प्रदर्शन कर रहे लोगों को बलपूर्वक हटाने के लिए डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने सरकार की निंदा की। राज्य के राज्यपाल विद्यासागर राव ने संबोधन में जलीकट्टू पर प्रतिबंध के लिए यूपीए सरकार को जिम्मेदार ठहराया।

    जलीकट्टू पर स्थायी समाधान चाहते हैं पारंपरिक तमिल

    दरअसल जलीकट्टू को लेकर राज्य में जारी व्यापक विरोध प्रदर्शन के बाद सरकार ने एक अध्यादेश पारित कर सांडों को काबू करने से जुड़े इस पारंपरिक तमिल खेल की इजाजत दे दी थी, लेकिन ये प्रदर्शनकारी इस पर स्थायी समाधान की मांग को लेकर अब भी डटे थे। उनका कहना था कि ये अध्यादेश तो छह महीने बाद निरस्त हो जाएगा, इसलिए सरकार इस पर एक स्थाई कानून बनाए। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि अध्यादेश छह महीने बाद निरस्त होने की बात गलत है, हकीकत यही है कि इस अध्यादेश के बाद अब इसे विधानसभा में पेश किया जाएगा। आपका लक्ष्य अब पूरा हो चुका है, इसलिए अपना विरोध प्रदर्शन खत्म कर मरीना बीच खाली करें।

    जल्लीकट्टू का आयोजन, तीन की मौत

    रविवार को तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों में जलीकट्टू का आयोजन किया गया। इस दौरान पुडुकोट्टई में दो लोगों की खेल में भाग लेते हुए और मदुरै में एक व्यक्ति की विरोध प्रदर्शन के दौरान मौत हो गई जबकि कई घायल हो गए। मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम मदुरै के आलंगनल्लूर में जल्लीकट्टू के खेल कार्यक्रम का उद्घाटन किए बगैर ही लौट गए क्योंकि प्रदर्शनकारी इस मुद्दे के स्थायी समाधान की मांग कर रहे थे। आपको बता दें कि इस पारंपरिक खेल पर पिछले तीन साल से बैन लगा हुआ था। हालांकि लोगों की भावना को देखते हुए तमिलनाडु के राज्यपाल विद्यासागर राव ने शनिवार को जलीकट्टू पर अध्यादेश को मंजूरी देते हुए अंतत: बैन हटा लिया गया।

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