7वीं बार विधायक बनने के लिए मैदान में, प्रचार पर एक रुपया भी खर्च नहीं करता है यह प्रत्याशी

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Gujrat Election

गुजरात विधानसभा चुनाव होने में अब सिर्फ गिनती के दिन बाकी रह गए हैं। इससे पहले हाल ही में हिमाचल प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव हुए हैं। गुजरात में प्रथम चरण के मतदान 9 दिसंबर को होने जा रहे हैं। वहीं दूसरे चरण के मतदान 14 दिसंबर को होंगे। यह मतदान गुजरात विधानसभा की कुल 182 सीटों पर होने जा रहे हैं। चुनाव में भाजपा और कांग्रेस ही दो बड़ी पार्टियां है। इस बार भाजपा और कांग्रेस के बीच जबरदस्त टक्कर का मुकाबला होना तय माना जा रहा है। हालांकि, यह तो नतीजे ही बताएंगे कि इस बार किस पार्टी को ताज पहनने को मिलेगा। गुजरात में भाजपा पिछले चार विधानसभा चुनावों से जीतती आई हैं।

वैसे तो गुजरात विधानसभा चुनावों में हजारों उम्मीदवार मैदान में खड़े हैं और पानी की तरह प्रचार में पैसा बहा रहे हैं। लेकिन इन सब के बीच भाजपा का एक ऐसा उम्मीदवार भी है जो न केवल इन सभी प्रत्याशियों के लिए बल्कि देशभर के राजनेताओं और भविष्य में चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए एक मिसाल है। जी हां, आज हम ऐसे ही एक प्रत्याशी के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिनका नाम है महेन्द्र लाल मशरू…

कौन है महेन्द्र लाल मशरू?

महेन्द्र लाल मशरू गुजरात विधानसभा चुनाव में जूनागढ़ से भारतीय जनता पार्टी यानी भाजपा के प्रत्याशी हैं। मशरू इस विधानसभा चुनाव से पहले जूनागढ़ से 6 बार विधायक बन चुके हैं। इस बार भी वे 7वीं दफा विधायक बनने के लिए तैयार है। वो भी बिना किसी प्रचार और खर्च के। यकीन मानोगे! नहीं ना, लेकिन यह सच है। मशरू की सादगी और कार्य करने का तरीका लोगों को इतना पसंद है कि क्षेत्र के लोग सिर्फ और सिर्फ मशरू को ही अपना नेता चुनते हैं। ये राजनीति में आने से पहले बैंक में काम कर चुके हैं। इन्होंने लगभग तीन दशक यानी कोई 30 वर्ष तक बैंक में नौकरी की है। मशरू को इससे जो ग्रेच्युटी व फंड मिला वे उसी से काम चला रहे हैं। उनकी उम्र अभी 62 वर्ष है और इन्होंने बीएससी के साथ एलएलबी की पढ़ाई भी की हुई है। महेन्द्र लाल मशरू के पास सिर्फ 3 लाख की संपत्ति है।

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मशरू अकेले ही पैदल घूमकर मिलते हैं क्षेत्र के लोगों से

 

विधायक महेन्द्र लाल मशरू अधिकांश समय अकेले ही पैदल निकलकर अपने क्षेत्र के लोगों से मिलते हैं। इनकी सादगी को देखकर हर कोई चकित रह जाता है। मशरू की सादगी ही उनके लिए काफी है वहीं दूसरी ओर दूसरे प्रत्याशी चुनाव में जीतने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाते नज़र आते हैं। यहां तक कि मशरू एक बार निर्दलीय लड़कर कांग्रेस और भाजपा जैसी बड़ी पार्टियों के प्रत्याशियों की जमानत जब्त करवा चुके हैं। मशरू 1990 से चुनाव लड़ते आ रहे हैं। इन्होंने 1995 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था और सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त करवा दी थी।

सिर्फ एक कमरे ही इनका घर और कोई सरकारी सुविधा तक नहीं लेते हैं

महेन्द्र लाल मशरू एक कमरे में रहते हैं। जन सेवा की भावना यहां तक है कि इन्होंने शादी भी नहीं की है। मशरू विधायकों को मिलने वाली कोई सुविधा और सैलरी तक नहीं लेते हैं। उन्होंने यह भी घोषणा कर रखी है कि वे अगर राजनीति से रिटायर भी हो जाते हैं तो उनको सरकार की ओर से मिलने वाली पेंशन भी नहीं लेंगे। बल्कि इसका उपयोग भी जनसेवा में ही किया जाएगा। मशरू का कहना है कि, जब मैं पहली बार चुनाव जीता, तब मां ने कहा कि अगर सच्चे मायनों में जनता की सेवा करनी है तो कोई भी सरकारी सुविधा न लेना। मां के ये अनमोल शब्द आज भी उनके ज़ेहान में ताजा रहते हैं। मां के कहे का पालन करते हुए मशरू ने आज तक कोई सरकारी सुविधा नहीं ली है।

खुद थैला उठाकर मार्ग की साफ सफाई में जुट जाते हैं मशरू

जुनागढ़ में हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा तक गिरनार की पहाड़ी की परिक्रमा होती है। इस दौरान यहां परिक्रमा के लिए आने वाले यात्री मार्ग में पानी की बोतल, प्लास्टिक और कूड़ा-कचरा फेंक देते हैं, जिसे मशरू हाथ में थैला लेकर बीनते नज़र आते हैं। मशरू को यह काम करने में जरा भी शर्म या झिझक महसूस नहीं होती है, बल्कि आमजन के लिए किए इस सेवा कार्य से उनकी महानता और बढ़ जाती है। आज तक आपने विधायकों को सिर्फ फोटो क्लिक करवाते समय ही साफ सफाई करवाते हुए देखा होगा। लेकिन उनमें विधायक होना का ज़रा भी घमंड नहीं है। वे बिना कोई स्वार्थ भावना से इस काम में जुट जाते हैं।

इनकी सादगी राजनेताओं और करोड़ों लोगों के लिए है प्रेरणा

वाकई महेन्द्र भाई मशरू की सादगी उन्हें जमीन से जुड़ा हुआ असल नेता बनाती है। वे विधायक निवास से विधानसभा भवन तक विधायकों को लाने और ले जाने के लिए राज्य सरकार द्वारा चलाई जाने वाली बस से ही सदन पहुंचते हैं। उनका जीवन और जन सेवा करने का तरीका देश के हजारों नेताओं और करोड़ों लोगों के लिए एक प्रेरणादायक है। करोड़ों रूपए खर्च कर चुनाव लड़ने वाले उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं। उम्मीद करते हैं इस बार भी महेन्द्र लाल मशरू चुनाव जीतकर 7वीं बार विधानसभा पहुंचेंगे।

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