राजस्थान चुनाव आयोग ने 26 मार्च को नगर पालिका और पंचायत राज संस्थानों में 14 रिक्त सीटों पर उपचुनाव किया था। इस मंगलवार को उन उपचुनावों के परिणाम घोषित हुए थे। सत्तारूढ़ भाजपा ने राज्य की 14 जिला परिषद, पंचायत समिति और नगर पालिका सीटों में से 10 सीटों पर सफलता दर्ज़ की। बाकि 4 सीटों में से तीन सीटें कांग्रेस और एक सीट स्वतंत्र उम्मीदवार राविन्द्र सिंह ने जीती।
देखा जाये तो ये कोई नयी बात नहीं है। ऐसे चुनाव अक्सर होते रहते हैं और उनमें सभी पार्टियों की हार-जीत तो लगी ही रहती है परंतु इस मामले में ख़ास बात ये है कि गत कुछ महीनों में हुए सभी चुनावों में जनता और जनप्रतिनिधियों ने भारी बहुमत से भाजपा को ही चुना है। चाहे बात 5 राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव की हो या जिला परिषद और ग्राम पंचायतों की, हर जगह कमल ही खिलता हुआ दिखाई दे रहा है।
और ये तब हुआ जबकि पूरे देश में विपक्षी दलों ने भाजपा सरकार पर नोटबंदी के बाद जम कर आरोप लगाए थे। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो भाजपा सरकार चाहे केंद्र हो या राज्य, दोनों जगह अपनी महत्वाकांक्षी, विकास केंद्रित योजनाओं की वजह से लोकप्रिय है। अगर सिर्फ राजस्थान की ही बात की जाये तो मुख्यमंत्री राजे की अन्नपूर्णा रसोई, अन्नपूर्णा भण्डार, भामाशाह स्वास्थ्य बीमा तथा राजश्री योजना इत्यादि जनता, मुख्यतः महिलाओं और ज़रूरतमंद वर्गों के बीच लोकप्रिय है। इस कारणवश राजस्थान की जनता का झुकाव पिछले कुछ चुनावों में भाजपा की तरफ रहा है।
व्यावहारिकता की दृष्टि से देखें तो जनता केंद्र और राज्य दोनों राज्यों में एक ही पार्टी को चुनने में यकीन रखती है। इससे वैचारिक मतभिन्नता नहीं होती तथा विकास कार्यों को नयी गति प्राप्त होती है।
हाल ही में हुए चुनाव में 10 भाजपा प्रत्याशियों में से एक सदस्य टोंक जिला परिषद के हैं, 5 सदस्य जयपुर (आमेर), बंसवाड़ा (अर्थुना), भीलवाड़ा (शाहपुरा), झुनझुनु (अलिसिसार) और करौली पंचायत समिति के और चार नगरपालिका सदस्य, दौसा (बांदीकुई), हनुमानगढ़ (भद्र), नागौर (कुचमन शहर) और सवाई माधोपुर जिले के हैं।
इस चुनाव परिणाम को देखते हुए यही लगता है कि आगामी धौलपुर चुनाव में भी भाजपा का ही बोलबाला रहेगा। यह इसलिए भी कहा जा सकता है क्योंकि मुख्यमंत्री स्वयं धौलपुर राजघराने से ताल्लुक रखती हैं। अब देखना ये है कि धौलपुर उप-चुनाव में भाजपा कैसे अपने जीत का सिलसिला कायम रखती है।