कोरोना की तीसरी लहर का खतरा, आदिवासी बहुल इलाके बच्चों के लिए ‘डेंजर जोन’

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    जयपुर। पूरे देश में भले ही कोरोना की दूसरी लहर धीमी पड़ने के संकेत मिल रहे हों लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो अब तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में कहा जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों को अपनी चपेट में ले सकती है। प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान में कोरोना की तीसरी लहर की तैयारियों के बारे में कलेक्टर्स से बातचीत की। बीकानेर कलेक्टर ने बताया कि तीसरी लहर के लिए बच्चों के विशेष मास्क बनाने होंगे। मौजूदा मास्क उनके लिए पर्याप्त नहीं हैं। इसके अलावा चाइल्ड हास्पिटल को अपग्रेड करने का प्लान बनाया जा रहा है। प्रदेश में गांवों में क्या ब्लॉक स्तर पर भी चाइल्ड हास्पिटल की सुविधा नहीं है। ऐसे में तीसरी लहर का मुकाबला करने के लिए बड़ी तैयारी करनी होगी

    40 लाख बच्चे एनिमिक और कुपोषित
    राजस्थान में बच्चों की आबादी में से 60 फीसदी बच्चे एनिमिक हैं। राज्य के आदिवासी बहुल इलाकों बारां, झालावाड़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, बूंदी, उदयपुर और प्रतापगढ़ आदि में कुपोषित बच्चों की संख्या सर्वाधिक है। इनमें से ज्यादातर बच्चों में खून की कमी है। जबकि 25 से 40 फीसदी का वजन कम है। कोरोना की तीसरी लहर के लिए सबसे ज्यादा खतरा ऐसे ही बच्चों के लिए है। इनका इम्युन सिस्टम कमजोर होने के कारण इनमें संक्रमण का खतरा दूसरे बच्चों की अपेक्षा ज्यादा है।

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