जयपुर। प्रदेश में स्वाइन फ्लू, डेंगू स्क्रब टाइफस का कहर जारी है। इसी बीच गुजरात में कोहराम मचा रहे कांगो फीवर ने अब राजस्थान में दस्तक दे दी है। पश्चिमी राजस्थान के करीब 5 जिलों में 15 से अधिक मरीजों के सामने आने के बाद चिकित्सा विभाग अलर्ट हो गया है। एक ओर जहां विभाग ने संबंधित जिलों में अपनी टीमें भेज दी हैं, वहीं लोगों से भी इन बीमारियों को लेकर जागरुक रहने को कहा गया है। यह बीमारी डेंगू की तुलना में ज्यादा खतरनाक है, इसलिए इसे ‘मौत का वायरस’ के नाम से जाना जाता है। इन बीमारियों में वायरल डिजीज, बुखार और मांसपेशियों में खिंचाव जैसे लक्षण होते हैं।
क्रीमियन कांगो फीवर के लक्षण डेंगू जैसे
जोधपुर में कांगो फीवर के दो संदिग्ध मरीज मिलने पर चिकित्सा विभाग ने डॉक्टरों की टीम भेजी है। बीकानेर से भी सैंपल एकत्र किए जा रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि क्रीमियन कांगो फीवर के लक्षण डेंगू जैसे होने से इसकी पहचान हो पा रही है। यह बीमारी डेंगू की तुलना में ज्यादा खतरनाक है, इसलिए इसे ‘मौत का वायरस’ के नाम से जाना जाता है। इसमें सामान्य बुखार के 3-4 दिन बाद नाक, आंख और मुंह से खून आता है। इसके लक्षण भी डेंगू समान होने से डॉक्टरों को भी अलर्ट रहना चाहिए।
ऐसे लोग आते है इसकी चपेट में
जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में (एसएमएस अस्पताल) के डॉ. रमन शर्मा का कहना है कि यह बीमारी हिमोरल नामक परजीवी से फैलती है। इसलिए गाय, भैंस, बकरी, भेड़ आदि जनावरों को पालते इसकी चपेट में ज्यादा आते है। सीसीएचएफ बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा रीबावेरीन ज्यादा कारगर नहीं है। वहीं डॉ. पुनीत सक्सेना ने बताया कि कुछ सालों में राजस्थान सहित गुजरात में कुछ जगहों पर ऐसे केस सामने आए। एक बार जानवर से मानव में आने के बाद यह दूसरे मानवों में तेजी से फैलता है।
गुजरात में तीन की मौत
गुजरात के बाद राजस्थान में कांगो फीवर दो रोगों की एंट्री से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। राजस्थान के चिकित्सा विभाग को गुजरात सरकार ने इस मामले में सूचना दी है। जोधपुर के एक शख्स का गुजरात के अहमदाबाद में हुए टेस्ट में सामने आया की उसे कांगो फीवर हुआ है। उसके बाद विभाग ने उस मरीज तथा एक और संदिग्ध मरीज को अहमदाबाद भेज दिया है, जहां उनका इलाज चल रहा है। गुजरात में इस बीमारी से अब तक 3 मौतें हो चुकी हैं।
यहां से आया कांगो फीवर
सीसीएचएफ विषाणु सबसे पहले क्रीमिया और कांगो में पाया गया। इसी वजह से इसका नाम दोनों देशों के नाम पर रखा गया है। जानवर इस वायरस से संक्रमित होते हैं। जानवरों से यह वायरस मनुष्य में फैलता है। डॉक्टरों को कई बार डेंगू के समान लक्षण होने से बीमारी का पता नहीं लगता। हालांकि अब जयपुर समेत अनेक जिलों में कांगो फीवर के लक्षण, बचाव एवं उपचार के बारें में कार्यशाला हो चुकी है।