जिनके भरोसा डुबा राजस्थान उन्ही को सौंप दी उत्तरप्रदेश की नाव, कांग्रेस की करारी हार में अशोक गहलोत भी नायक

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UP Assembly election 2017

होली का त्योहार आया हैं और अपने साथ भगवा रंग का चोला साथ लाया हैं। आज हर कोई केसरिया रंग से रंगा हुआ दिखाई दे रहा हैं पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर नही आंधी आई हैं। उत्तरप्रदेश में भाजपा को मिले बहुमत ने कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और मायावती का सूपड़ा साफ कर दिया हैं। उत्तरप्रदेश के चुनाव को देश के चुनाव के रूप में देखा जाता हैं। युपी विधानसभा चुनाव में भाजपा को 300 से ज्यादा सीटे मिल रही हैं और सपा कांग्रेस के गठबंधन को 70 सीटों पर संतोष करना पड़ा हैं। उत्तरप्रदेश में कांग्रेस की किश्ती को डुबोने में राजस्थान का भी कही न कही बड़ा हाथ रहा हैं। जो लोग राजस्थान को डुबने से नही बचा पाए उन्ही को युपी में कांग्रेस की नाव सौंप दी। जीहां हम बात कर रहे हैं राजस्थान कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक गहलोत की।

2013 में हुए राजस्थान में डुबी कांग्रेस की लुटिया

साल 2013 के चुनाव में राजस्थान में जो कांग्रेस के साथ हुआ उत्तरप्रदेश में कांग्रेस के साथ उससे भी कही बुरा हुआ हैं। आज के करीब ढाई साल पहले राजस्थान में कांग्रेस ने पूर्वमुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में राजस्थान बचाने की लड़ाई लड़ी थी लेकिन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सामने कांग्रेस की एक नही चली और 200 सीटों में से सिर्फ 21 सीटों पर संतोष करना पड़ा। अब राजस्थान में जो लोग अपने लुटिया डुबने से नही बचा सके वो उत्तरप्रदेश जैसे बड़े प्रदेश में कांग्रेस की किश्ती कैसे बचा पाते।

गहलोत को राजस्थान से निकाल युपी ने लगाया

सवाल यह हैं कि अशोक गहलोत को कांग्रेस राजस्थान या फिर केंद्र में बड़े और वरिष्ठ नेता के तौर पर देखती हैं लेकिन प्रदेश की जनता ने गहलोत को ढाई साल पहले ही नकार दिया था और गहलोत के खराब प्रदर्शन के बाद राजस्थान कांग्रेस की बागडोर भी गहलोत से छीन ली गई । पूर्वमुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने राजस्थान से निकाल कर युपी में लगाया और गहलोत ने युपी में भी कांग्रेस का भट्टा बैठा दिया।

कांग्रेस की हार से वाकिफ़ थे गहलोत

कांग्रेस की युपी में विराट हार से शायद राजस्थान के पूर्वमुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहीं न कहीं वाकिफ थे। पिछले कुछ दिनों के गहलोत राजस्थान और उत्तरप्रदेश से गायब हैं शायद गहलोत भी जानते थे की हार का सहरा उनके सिर पर भी बंधेगा ऐसे में वे गायब हो गये। राजस्थान में विधानसभा सत्र चल रहा हैं बजट पेश हुआ हैं सदन के सबसे वरिष्ठ नेता के तौर पर गहलोत को उपस्थित होना चाहिए था लेकिन वे यहां भी नजर नही आये।

राजस्थान में किस मुंह से आयेंगे गहलोत

स्थिती साफ हैं कि कांग्रेस की उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में हुई हार के बाद राजस्थान के इस बड़े नेता की छवि भी खराब हुई हैं । कांग्रेस बार बार कहती हैं कि राजस्थान में भी वो फिर से सरकार बनाएंगे तो आखिर इस प्रदर्शन के दम पर कांग्रेस राजस्थान में किस मुंह से वापस आयेगी। राजस्थान मुख्यमंत्री राजे के नेतृत्व में विकास की ओर अग्रसर हो रहा हैं जनता को मुख्य़मंत्री राजे का साथ पसंद आ रहा हैं।

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