राजस्थान में कांग्रेस के दिग्गजों का आमने-सामने होना कोई पहली बार नही हुआ है। लेकिन इस बार प्रदेश में कांग्रेस के हालात दिन ब दिन खराब होते जा रहे है। धौलपुर हार के बाद प्रदेश कांग्रेस के दिग्गजों में एक दूसरे को नीचा दिखाने और अपने वर्चस्व को दिखाने के लिए शीत युद्ध छिड़ गया था। कांग्रेस दिग्गजों के इस शीत युद्ध को बढ़ते देख अब कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और राहुल गांधी को बीच-बचाव करना पड़ रहा है। आगामी चुनाव में कांग्रेस राजस्थान में अपने वजूद को बचाने के लिए उतरेगी लेकिन जिस प्रकार से कांग्रेस के बड़े नेताओं में चल रही आपसी खिंचतान इस वजूद को भी खत्म करने में लगी है। buybtc.in rajpalace.com
पार्टी के नेतृत्व को लेकर हुए आमने-सामने
राजस्थान कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में पार्टी नेतृत्व की कमान को लेकर चल रहे शीतयुद्ध में अब जल्दी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) दखल देगी। दिग्गजों की आपसी खींचतान से लगातार बंटते कार्यकर्ताओं का खामियाजा आगामी चुनाव पर पड़ने से रोकने के लिए जल्दी बड़े निर्णय लिए जाएंगे।
एआईसीसी को नही मिला प्रदेश कांग्रेस को शांत कराने का हल
अलग-अलग खेमों की एक दूसरे के खिलाफ शिकायतों पर कई बार मंथन के बाद भी एआईसीसी अभी तक कोई ठोस हल नहीं निकाल सकी है। लगातार कई राज्यों में कांग्रेस के गिरते ग्राफ के बाद कुछ नेताओं का भाजपा में शामिल होना भी डर का कारण बना हुआ है। राजस्थान में भी दिग्गज नेताओं में शीतयुद्ध के चलते एआईसीसी नहीं चाहती कि भाजपा उनके नेताओं पर डोर डालकर पार्टी को कमजोर करने में कामयाब हो। लिहाजा कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के लिए दिग्गज नेताओं को एकजुट दिखाना बड़ी चुनौती है।
एक मंच पर लाकर संदेश देने की तैयारी
जानकारी के अनुसार राजस्थान की लीडरशिप के मसले पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी चर्चा कर फैसला लेंगे। नए और पुराने नेताओं के बीच आतंरिक जंग को छिपाने और सभी खेमों के नेताओं को एक मंच पर लाकर एकजुटता का मैसेज देने की रणनीति बनाई जाएगी। इसके लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, वरिष्ठ नेता डॉ.सी.पी.जोशी, राज्य प्रभारी गुरूदास कामत सहित कई नेताओं के साथ दिल्ली में बैठकें भी होंगी।