अजमेर उपचुनाव: क्यों बन गई है यह सीट प्रतिष्ठा का मुद्दा?

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हाल ही में राजस्थान के पड़ोसी राज्य गुजरात और उत्तर भारत का पहाड़ी प्रदेश हिमाचल में विधानसभा चुनाव हुए हैं। दोनों ही राज्यों में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन जारी रखते हुए पूर्ण बहुमत हासिल किया। इसी के साथ बीजेपी की देश में कुल 28 में से 19 राज्यों में सरकार हो गई है। ajmer elections

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बीजेपी के इतिहास में इससे पहले तक ऐसा कभी भी नहीं हुआ है। ज​बकि, विपक्षियों तक के मुंह से अपनी तारीफ निकलवाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी बीजेपी के प्रधान ​लीडर रह चुके थे। सीधी—सी बात है, मोदी—शाह की जोड़ी का जादू साफ देखा जा सकता है। ajmer elections

राजस्थान में इसी माह के अंत में 29 जनवरी को तीन सीटों पर ​उपचुनाव होने जा रहे हैं। लेकिन अजमेर उपचुनाव बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही प्रमुख पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा की सीट बनीं हुई है। ऐसे में दोनों ही पार्टियां इस सीट जीत हासिल करने में किसी प्रकार की कमी नहीं छोड़ना चाहेगी। आइये हम आपको बताते हैं कि अजमेर लोकसभा सीट बीजेपी—कांग्रेस दोनों के लिए ही प्रतिष्ठा का मुद्दा क्यों बन गई है… ajmer elections

बीजेपी के लिए इस वजह से है अजमेर सीट प्रतिष्ठा का मुद्दा

वैसे तो राजस्थान में तीन सीटों, अजमेर व अलवर लोकसभा सीट और मांडलगढ़ विधानसभ सीट पर चुनाव होने हैं। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल तीनों ही सीटों पर जीत दर्ज करना चाहती है। लेकिन अजमेर सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का मुद्दा इसलिए भी बन गई है कि 2014 में हुए आमचुनाव में यहां भाजपा के स्वर्गीय केन्द्रीय मंत्री सांवरलाल जाट ने जीत दर्ज की थी। इससे पहले यहां से कांग्रेस के सचिन पायलट सांसद थे।

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बीजेपी उपचुनाव में जीत दर्ज एकबार फिर से यह सीट अपने नाम करना चाहेगी। साथ ही कांग्रेस के वर्तमान प्रदेशाध्यक्ष पायलट के चुनावी क्षेत्र होने से 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले जीत दर्ज यह साबित करेगी कि 2014 के आमचुनाव में भाजपा की यहां जीत कोई तुक्का नहीं थी। कांग्रेस को इस सीट पर एकबार फिर से हराने पर बीजेपी की प्रदेशभर के लोगों में एक अलग छवि बनेगी। इस सीट पर जाट वोटरों की संख्या भी करीब 2.50 लाख से ज्यादा है जो सीधे बीजेपी के खाते में जाना तय है। क्योंकि, पूर्व स्वर्गीय मंत्री सांवरलाल जाट की सहानुभूति बीजेपी को जरूर मिलेगी। ajmer elections

राजस्थान कांग्रेस के सारथी पायलट का भविष्य तय करेगी यह सीट

राजस्थान में 2018 के अंत में विधानसभा की 200 सीटों पर चुनाव होना है। ऐसे में राजस्थान कांग्रेस के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के लिए अजमेर सीट प्रतिष्ठा का सवाल है। खुद सचिन पायलट इस सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं। अजमेर पायलट का गृह चुनावी क्षेत्र है। इसलिए उनके लिए यह सीट जीतना नाक का सवाल है। ajmer elections

पायलट अजमेर सीट कांग्रेस को जीताकर 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राजस्थान कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री के रूप में अपना मजबूत दावा पेश कर सकेंगे। कांग्रेस ने यहां केकड़ी से पूर्व विधायक रहे डॉ. रघु शर्मा को टिकट देकर बड़ा दांव लगाया है। यह बात पायलट बखूबी जानते हैं कि अगर डॉ. रघु शर्मा अजमेर से ​चुनाव हारते हैं तो पायलट के लिए आगे बड़ी मुसीबत हो सकती है। इसलिए पायलट यहां हर—हाल में जीत दर्ज करना चाहेंगे, इसके लिए उन्हें चाहे जो भी करना पड़े। पायलट यह सीट निकलवा पाते हैं तो वे चमकेंगे तो सही, साथ ही पा​र्टी कार्यकर्ता और हार्इ्कमान की नज़र में भी उनकी छवि और बढ़ जाएगी। यहां गुर्जर वोटरों की संख्या 1.50 लाख से अधिक है। यहां पायलट जीत दर्ज करते हुए अपने समुदाय के वोटों पर पकड़ और मजबूत करना चाहेंगे। ajmer elections

पायलट किसके भरोसे मुकाबला कर पाएंगे अजमेर लोकसभा सीट पर

सचिन पायलट के प्रतिष्ठा का सवाल बनीं अजमेर लोकसभा सीट पर भाजपा ने अपने स्टार प्रचारकों की एक पूरी टीम उतार दी है। बीजेपी प्रत्याशी और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सांवरलाल जाट के बेटे रामस्वरूप लांबा के प्रचार में यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय प्रदेश अध्यक्ष अमित शाह भी आने वाले हैं। ajmer elections

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लोकसभा उपचुनाव: सचिन पायलेट व सांवरलाल जाट के बेटे में होगी सियासी जंग!

साथ ही मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की बहू और गुर्जर समाज की बेटी निहारिका सिंह भी अजमेर में प्रचार करेगी। जिससे सीधा—सीधा बीजेपी को चुनावों में फायदा मिलना तय है। यहां बीजेपी के केन्द्रीय और राज्य स्तरीय मंत्री भी चुनावी प्रचार में लगे हुए हैं। वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस के पास प्रचार के लिए राष्ट्रीय स्तर का कोई लीडर नहीं है। कांग्रेस इस उपचुनाव में प्रदेश स्तरीय नेताओं, अशोक गहलोत, सीपी जोशी, रामेश्वर लाल डूडी आदि से काम चलाएगी। ऐसे में कांग्रेस अजमेर में बीजेपी से किसके भरोसे मुकाबला कर पाएगी? ajmer elections

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