राजस्थान सरकार की यह तकनीक अपना रहे हैं अफ्रीकी देश, बूंद-बूंद बचाकर कर बुझा रहे हैं प्यास

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    MJSA Scheme of Rajasthan

    MJSA Rajasthan: राजस्थान देश के सबसे विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्यों में से एक हैं, यहां एक तरफ हजारों किलोमीटर तक फैला रेगीस्तान हैं तो दूसरी तरफ अरावली और विंध्याचल की पर्वत श्रंखलाएं हैं। इन दोनों के बीच में मैदानी इलाका हैं। प्रदेश का 61 फीसदी हिस्सा रेगीस्तानी होने के कारण यहां पानी की गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। भूजल स्तर बढ़ाने के लिए राजस्थान सरकार ने वर्षा जल की हर बूंद को संचित करने की एक अनोखी तकनीक विकसित की हैं जिससे पैदावार बढ़ाने के लिए जमीन में नमी पैदा होगी। इस तकनीक को देश के कुछ अन्य राज्यों में भी अपनाया जा रहा हैं और कुछ अफ्रीकी देशो में भी राजस्थान सरकार की इस तकनीक को अपनाने में रुचि दिखाई हैं।

    सालाना 137 फीसदी भूजल स्तर का हो रहा हैं दोहन

    राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के तहत ग्रामीण इलाको को जल क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाया जा रहा हैं । एक सरकारी आंकड़े के अनुसार प्रदेश में 61 प्रतिशत भूमि रेतीली हैं भूजल के माध्यम से लोगों को पीने के लिए 90 फीसदी पानी मिल रहा हैं औऱ 60 फीसदी सिंचाई भी इस माध्यम से की जा रही हैं । इससे भूजल का भारी दौहन हो रहा हैं। आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में भूजल का सालाना 137 फीसदी दोहन हो रहा हैं जिससे राज्य में भूजल स्तर तेजी से गिर रहा हैं।

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    साढ़े तीन हजार गांवों का बढ़ा जल स्तर

    राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के जरिए भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए अभियान चलाया जा रहा हैं और इस अभियान को अब जन आंदोलन का रूप दिया गया हैं। राज्य सरकार का कहना हैं कि अभियान के तहत चल रहे इस कार्यक्रम में प्रदेश के 25 डार्क जोनों में कमी आई हैं,यानी करीब साढ़े तीन हजार गांवों के जल स्तर में उल्लेखनीय सुधार हुआ हैं। साल 2019 तक इससे 22 हजार गांवों में भूजल स्तर में सुधार लाया जाएगा।

    ऐसे करते हैं बूंद-बूंद का संचयन

    मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के माध्यमं गांवों में भूजल स्तर बढ़ाने के लिए वर्षा जल के एक-एक बूंद का संचयन स्ट्रेगर्ड ट्रेन्चेड विधि के जरिए किया गया हैं। स्ट्रेगर्ड ट्रेन्चेड विधि का मतलब हैं कि पूरे इलाके में एक निश्चित दूरी पर और अलग-अलग लंबाई में एक नाप की ऊंचाई तथा चौड़ाई में खोदे गए गड्डो में वर्षा जल को भरना हैं उससे भूजल को बढ़ाना हैं । इन गड्डों को इस तरह से खोदा गया हैं कि बारिश के पानी की एक बूंद भी बर्बाद नही होता और वह सीधा गड्डों में ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पहुंचते हैं। गड्डों में जब ज्यादा पानी होने और पानी बहने की स्थिती में गहराई वाले स्थान पर तालाब की शक्ल में बड़ा गड्डा बनाया गया हैं। बरसात का अतिरिक्त पानी बहकर इस तालाब में जमा होगा और लंबे समय तक इसमे रहेगा। तालाब और ट्रेन्चेज का पानी सीधे जमीन में चला जाता हैं, जो जमीन में नमी पैदा करता हैं और भूजल स्तर बढ़ाने में सहयोग करता हैं।

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