गुर्जरों की 5 प्रतिशत आरक्षण की मांग को राजस्थान सरकार ने मान लिया था लेकिन हाईकोर्ट की रोक के बाद यह मामला खटाई में पड़ गया है। हाईकोर्ट के निर्देश के अनुसार राजस्थान में केवल 50 प्रतिशत आरक्षण ही दिया जा सकता है। फिलहाल राजस्थान में 49 प्रतिशत आरक्षण मौजूद है। इस सब बातों को देखते हुए अब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे गुर्जरों को एक प्रतिशत आरक्षण देने का रास्ता देख रही है। पता चला है कि इस बारे में क्रियान्विति भी शुरू हो गई है।
हालांकि गुर्जर लंबे अरसे से 5 प्रतिशत आरक्षण के लिए आंदोलनरत थे लेकिन बार—बार यह मामला 50 प्रतिशत सीमित आरक्षण की वजह से अटका हुआ है। अगर हाईकोर्ट के निर्देश पर अमल किया गया तो मुनासिब है कि लंबे समय से चल रहा गुर्जरों का आंदोलन हमेशा के लिए समाप्त हो जाए।
इससे पहले गुर्जरों को ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण दिया गया था जिसे 21 प्रतिशत से 5 प्रतिशत बढ़ाकर 26 प्रतिशत किया गया लेकिन हाईकोर्ट की दलील की वजह से ऐसा हो न सका।
अगर ऐसा होता तो राजस्थान में आरक्षित कोटा 49 प्रतिशत से बढ़कर 54 प्रतिशत हो जाता। लेकिन अब गुर्जरों को एक प्रतिशत अतिरिक्त आरक्षण कोटा से ही संतोष करना पड़ेगा।
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सरकार के बढ़ाए गए 5 प्रतिशत बीओसी आरक्षण कोटे में गुर्जर सहित 5 अन्य जातियों को भी शामिल किया गया था। अब जब गुर्जरों का आरक्षित कोटा केवल एक प्रतिशत ही रह गया है, अब देखना खास होगा कि इस कोटे में केवल गुर्जरों को ही रखा जाएगा या फिर पांचों जातियों को शामिल कर लिया जाएगा।
वैसे हाईकोर्ट के गुर्जर आरक्षण पर दिए गए फैसले के बाद गुर्जरों का आंदोलन हमेशा के लिए समाप्त हो जाना चाहिए। बीते लंबे समय से गुर्जरों ने अपनी इस मांग पर कई बाद आंदोलन किए हैं जिनमें से कुछ हिंसक और नुकसानदायक भी रहे हैं। उस दौरान रेलवे लाइन को रोके जाने से रेलवे विभाग को करोड़ों रूपए का नुकसान हो चुका है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए वसुंधरा राजे की बीजेपी राजस्थान सरकार जल्दी ही इस फैसले को अमल में ला सकती है।