उदयपुर में हुए राजस्थान डिजिफेस्ट के अंतिम दिन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने एक रोबोट से बात की। ईयूरीज कंपनी द्वारा कस्टमाइज किए ‘नाओ’ रोबोट अंग्रेजी और हिन्दी में बात करता है। नाओ ने मुख्यमंत्री से पूछा कि आपको यहां कैसा लग रहा है तो मुख्यमंत्री ने जवाब दिया कि बहुत अच्छा लग रहा है। जब मुख्यमंत्री राजे ने रोबोट के सिर पर हाथ रखा तो रोबोट ने गुलाब का फूल एवं रूमाल देकर उनका स्वागत किया। रोबोट ने इस दौरान योगाभ्यास करके दिखाया। मुख्यमंत्री ने रोबोट की सराहना करते हुए कहा कि यह किसी क्यूट बच्चे जैसा है। मुख्यमंत्री से नाओ की मुलाकात राजस्थान डिजिफेस्ट के दौरान राज्य सरकार की ओर से लगाई गई प्रदर्शनी ‘राजस्थान टुडे टू टूमारो: द डिजिटल जर्नी’ में हुई थी। राजे ने नाओ से हिंदी व अंग्रेजी में बातचीत की। नाओ रोबोट ने राजे को भामाशाह तथा डीबीटी योजना के बारे में भी जानकारी दी।
उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में दो दिन तक चलने वाला इस डिजिटल फेस्टिवल करीब 1500 से अधिक डिजाइनर्स, डवलपर्स, इनवेंटर्स और क्रिएटर्स सहित अन्य आईटी प्रतिभाओं ने भाग लिया था। इंवेट में भामाशाह, ई-मित्र, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बायोमेट्रिक्स, एग्रीकल्चर, आईओटी और ट्यूज्म, एआर/वीआर व ब्लॉकचैन जैसे आईटी प्रोजेक्ट पर प्रोजेक्ट तैयार किए गए थे। डिजिफेस्ट—2017 में बेस्ट परफार्म करने वाली तीन टीमों को क्रमश: 15 लाख, 10 लाख और 7.5 लाख रूपए का पुरस्कार भी दिया जाता है। आईटी स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए टेकनोलॉजी और स्टार्टअप का बड़ा प्लेटफार्म राजस्थान डिजिफेस्ट 2017 का आयोजन किया जाता है।
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इससे पहले मुख्यमंत्री ने राजस्थान डिजिफेस्ट प्रतियोगिता में चयनित शिक्षकों को टेबलेट देकर पुरस्कृत किया। उन्होंने इस दौरान राजस्थान माध्यमिक शिक्षा परिषद के अधिकारियों से कहा कि वे ऎसे तकनीक व नवाचारों से शिक्षकों को प्रोत्साहित करें। इस दौरान मुख्यमंत्री ने सिलिकोसिस पोर्टल का भी शुभारंभ किया तथा राजस्थली, ई-बाजार, आईवीवाईपी पोर्टल, राज-एसआईपीएफ पोर्टल, भामाशाह वॉलेट, सिंगल विंडो सिस्टम, ई—ऑक्शन, ई—देवस्थान सहित विभिन्न नवाचारों को प्रदर्शित करने वाली स्टॉल का अवलोकन कर प्रदर्शनी की सराहना की।
प्रदर्शनी में ही मुख्यमंत्री ने राजस्थान पुलिस की ओर से विकसित किए गए अभेद सॉफ्टवेयर को प्रदेश में लॉन्च किया। अभेद सॉफ्टवेयर प्रदेश में अपराधों की रोकथाम में उपयोगी साबित होगा। सॉफ्टवेयर में अपराधी के फोटो, स्पीच, फिंगरप्रिंट आदि के आधार पर एक डाटाबेस तैयार होगा। अब तक इसका पायलट बेसिस पर अलवर में इस्तेमाल किया जा रहा था।