उपराष्ट्रपति चुनाव में वेंकैया नायडू की जीत तय, राज्यसभा में भी भाजपा आगे

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उपराष्ट्रपति चुनाव में वेंकैया नायडू की जीत तय, राज्यसभा में भी भाजपा आगे
उपराष्ट्रपति चुनाव में वेंकैया नायडू की जीत तय, राज्यसभा में भी भाजपा आगे

भारत के नए उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए सुबह 10 बजे से वोटिंग शुरू हो चुकी है। सत्ताधारी एनडीए संगठन की तरफ से वेंकैया नायडू और विपक्ष की ओर से गोपालकृष्ण गांधी उम्मीदवार के तौर पर हैं। सत्तारूढ़ भाजपा की मज़बूती और विपक्ष की कमज़ोरी के कारण वेंकैया नायडू की जीत लगभग तय मानी जा रही है। सुबह 10 बजे से शुरू हुई वोटिंग प्रक्रिया शाम 5 बजे तक चलेगी। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित अनेक सांसद अपना मत दे चुके हैं। इस चुनाव में मतदान प्रक्रिया राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया से भिन्न होती है। संसद के दोनों सदन लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसद मिलकर उपराष्ट्रपति चुनाव में भाग लेते हैं। राष्ट्रपति चुनाव की तरह इस चुनाव में राज्यों की विधानसभाओं के विधायक मतदान नहीं करते हैं। उपराष्ट्रपति के चुनाव में राज्यसभा और लोकसभा के नामित सदस्य भी मतदान करते हैं। भारत का नए उपराष्ट्रपति के चुनावी नतीजे आज शाम 7 बजे तक सामने आ जाएंगे।

नायडू की जीत तय क्योंकि…

क्यों तय है नायडू की जीत?
क्यों तय है नायडू की जीत?

लोकसभा और राज्यसभा में बहुमत से ज़्यादा सांसद होने के कारण उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार वेंकैया नायडू की जीत स्पष्ट मानी जा रही है। लोकसभा के कुल 545 सांसदों में से 338 भाजपा समर्थित एनडीए के हैं। इसी तरह राज्यसभा में भी 58 सांसदों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है। दोनों सदनों के कुल (545+245 = 790) सांसदों में से भाजपा के पक्ष में 400 से अधिक सांसद है। प्रत्येक सांसद के मत का मूल्य एक होता है। इस तरह हामिद अंसारी के बाद वेंकैया नायडू को नए उपराष्ट्रपति के तौर अंदाजा लगाना समझदारी है।

संघर्ष से आज इस मुकाम तक पहुंचे हैं वेंकैया नायडू

दक्षिण भारत के एक गरीब किसान परिवार से सम्बन्ध रखने वाले वेंकैया नायडू अपने छात्र जीवन से ही राजनीती की ओर बढ़ चले थे। कॉलेज के दिनों में नायडू आंध्रा विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष के तौर पर निर्वाचित हुए थे। वेंकैया नायडू ने 1974 के दौरान लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में केंद्र की इंदिरा गाँधी सरकार के विरोध में दक्षिण भारत में छात्र आंदोलन को सक्रिय किया था। तानाशाही शासन के विरोध में नायडू अग्रणी रहे थे। बाड़ में 1977 – 80 में नायडू आंध्रा प्रदेश के भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष भी रहे थे। नायडू 1978 – 85 के दौरान आंध्र प्रदेश विधानसभा में दो बार विधायक भी रह चुके है। साल 1998 से भारतीय राजनीति की केंद्रीय धुरी में कदम रखने वाले नायडू तीन बार कर्नाटक से राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं। वर्तमान में वेंकैया नायडू राज्यसभा में राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। नायडू NDA की पहली सरकार में तत्कालीन प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारत के ग्रामीण विकास मंत्री भी रह चुके है। वर्तमान मोदी सरकार में नायडू ने सूचना प्रसारण और शहरी विकास मंत्रालय का कार्यभार संभाला है। इसी तरह कभी अटल बिहारी बाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के पोस्टर चिपकाने वाले वेंकैया नायडू जीवन संघर्ष के कठिनाई भरे दौर देखकर आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं।

महात्मा गांधी के पौत्र है गोपालकृष्ण गाँधी

साझा विपक्ष की तरफ से उपराष्ट्रपति पद पर दावेदारी कर रहे गोपालकृष्ण गाँधी राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के सबसे छोटे पुत्र देवदास गांधी के पुत्र हैं। गोपालकृष्ण गाँधी की माँ लक्ष्मी राजगोपालाचारी भारत के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी और वायसराय चक्रवर्ती राजगोपालाचारी की पुत्री है। इस तरह गोपालकृष्ण, महात्मा गाँधी के पुत्र और की राजगोपालाचारी के नाती लगते हैं। गोपालकृष्ण पूर्व आईएएस और राष्ट्रपति के.आर. नारायणन के संयुक्त सचिव रह चुके हैं। राजनीति से ख़ास लगाव रखने वाले गोपालकृष्ण गाँधी पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रह चुके हैं।

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