मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने अपने डूंगरपुर दौरे के दौरान घोषणा की कि जिले में संचालित जनजातीय बालिका छात्रावासों का नामकरण अमर शहीद बालिका कालीबाई के नाम पर तथा जनजातीय बालक छात्रावासों का नामकरण शहीद नानाभाई खांट के नाम पर रखे जाएंगे। साथ ही शहीद नानाभाई और सेंगाभाई की प्रतिमाएं स्थापित करने का भी ऐलान किया है। vasundhara raje in dungarpur
उन्होंने ऐसा क्यूं किया, इसकी एक अहम वजह है। असल में डूंगरपुर एक आदिवासी इलाका है जहां आदिवासी समाज के लोग अधिकाधिक संख्या में रहते हैं। इस इलाके में शहीर वीर बाला कालीबाई को बड़े ही आदर—सत्कार की भावना से देखा जाता है। नानाभाई खांट इस बालिका के गुरू थे। कालीबाई ने मात्र 13 साल की अल्पायु में अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई थी और वीरगति को प्राप्त हुई। vasundhara raje in dungarpur
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कालीबाई का इतिहास 70 साल से भी पुराना है। यह तब की बात है, जब देश आजाद तक नही हुआ था। उस समय कालीबाई ने न केवल ब्रिटिश हुकूमत के जुल्म का विरोध किया, साथ ही अपने गुरू के प्राण बचाकर आदिवासी क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाई। इस दौरान कालीबाई के साथ उनके गुरू नानाभाई खांट भी शहीद हुए थे। एक अन्य शिक्षक सेंगाभाई रोत इस घटना में बुरी तरह घायल हो गए थे। vasundhara raje in dungarpur
यही वजह रही कि मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे मंगलवार को जिले के मांडवा खापरड़ा गांव में पहुंची। यहां उन्होंने जिले में संचालित जनजातीय बालिका छात्रावासों का नामकरण अमर शहीद बालिका कालीबाई के नाम पर तथा जनजातीय बालक छात्रावासों का नामकरण शहीद नानाभाई खांट के नाम पर करने की घोषणा की। यहां उन्होंने पेनोरमा के साथ शहीद नानाभाई और सेंगाभाई की प्रतिमाएं स्थापित करने करने का भी ऐलान किया है। vasundhara raje in dungarpur
इस मौके पर मुख्यमंत्री राजे ने आदिवासी क्षेत्र की महिलाओं का आह्वान किया कि वे अपने बच्चों को शिक्षा दिलाएं ताकि वे शिक्षा की अलख जगाने के साथ ही ब्रिटिश हुकूमत के जुल्म का विरोध करते हुए शहीद हुई कालीबाई की तरह ही अपने परिवार, समाज और देश का नाम रोशन कर सकें। यहां उन्होंने शहीद वीर बाला कालीबाई, नानाभाई तथा सेंगाभाई के परिजनों से भी मुलाकात की और उनका सम्मान किया। साथ ही शहीद नानाभाई खांट एवं सेंगाभाई को श्रद्धांजलि दी।