जल स्वावलंबन अभियान से आत्मनिर्भर हुआ राजस्थान, नही फैलाएंगे किसी के सामने हाथ- मुख्यमंत्री राजे

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Vasundhara Raje MJSA

राजस्थान के उत्तरी व पश्चिमी क्षेत्र में सिंचाई और पेयजल का एकमात्र विकल्प रहे सतलज-यमुना लिंक से अब राजस्थान को पानी नही मिलेगा। पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा है कि जल समझौते में पंजाब के साथ पक्षपात हो रहा हैं ऐसे में राजस्थान, हरियाणा व अन्य किसी भी प्रदेश का पंजाब के पानी पर कोई हक नही हैं।

दरअसल पंजाब पानी समझौते के तहत राजस्थान और हरियाणा को सतलज-यमुना लिंक से सालों से पेयजल औऱ सिंचाई के लिए पानी मुहैया करवा रहा हैं लेकिन पंजाब में दिनोंदिन गिरते जल स्तर को देखते हुए सीएम बादल ने कहा कि अगर पंजाब किसी राज्य को पानी नही देता तो आज वहां गिरते जल स्तर की समस्या पैदा नही होती।

हम नही फैलाएंगे पानी के लिए किसी के सामने हाथ – मुख्यमंत्री

पंजाब पानी के लिए राजस्थान से रॉयल्टी वसुलना चाहता हैं जबकि सतलज-यमुना लिंक पर राजस्थान की निर्भरता उतनी नही हैं जितना की पंजाब सोचता हैं। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने प्रदेश को पेयजल ओर सिंचाई क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कोई कोर कसर नही छोड़ी हैं। राजस्थान, हरियाणा और पंजाब सालों से एक सतलज- यमुना का पानी पिते आये हैं और उस पानी से खेती भी करते आये हैं लेकिन पंजाब के गिरते जल स्तर पर वहां की सरकार को यह ठोस कदम लेना पड़ता हैं तो भी राजस्थान पंजाब के सामने पानी के लिए हाथ नही फेलाएगा। राजस्थान आज जल क्षेत्र में लगभग आत्मनिर्भर बन चुका हैं।

जल स्वावलंबन अभियान से आई प्रदेश में खुशहाली

राजस्थान के पंजाब व हरियाणा सीमा से सटे जिलों में हमेशा से सतलज-यमुना लिंक से पानी आ रहा हैं। पंजाब विधानसभा राजस्थान से 1966 से लेकर अब तक की रॉयल्टी वसुलना चाह रही हैं लेकिन राजस्थान पानी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हैं। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की राजस्थान को जल क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने वाले मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान से राजस्थान की काया पलट हो गई हैं। अब पिछले साल भर में राजस्थान पेयजल और सिंचाई जल के लिए पर्याप्त मात्रा में संग्रहित जल का इस्तेमाल कर रहा हैं। मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान से राजस्थान के सभी गांवों और शहरों में वर्षा जल को संग्रहित करने का कार्य राजस्थान सरकार और प्रदेशवासी बखूबी कर रहे हैं। ऐसे में राजस्थान पानी के लिए किसी प्रदेश के सामने हाथ नही फैलाएगा। क्योंकि आने वाले समय में राजस्थान जलक्षेत्र में आत्मनिर्भर हो जाएगा।

जल स्वावलंबन अभियान का पहला चरण

राजस्थान सरकार ने भविष्य की समस्याओं के बारे में चिंतन करते हुए आज से ही प्रदेश में पानी की किल्ल्त को दूर करने के कार्य में जुट गई हैं। वसुंधरा सरकार ने प्रदेश में जल स्वावलंबन अभियान चलाया जिसके पहले चरण में ही प्रदेश ने अप्रत्याशित सफलता हासिल कर ली। जल स्वावलंबन अभियान के पहले चरण में 41 लाख लोगों और और 45 लाख पशुधन को लाभ मिला हैं। यानी राजे सरकार के जल स्वावलंबन अभियान के 41 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रूप से फायदा मिला हैं साथ ही 45 लाख से ज्यादा पशुओं को भी सीधा लाभ मिला हैं। जल स्वावलंबन अभियान के पहले चरण में करीब 11 हजार 170 मिलियन क्यूबिक फीट जल का प्रबंधन किया गया था तथा करीब 27 लाख पौध लगाये गए थे।

जल स्वावलंबन अभियान का दूसरा चरण

नौ दिसंबर से राजस्थान के 4200 गांवों औऱ 66 नगरीय क्षेत्रों में मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान का दूसरा चरण प्रारंभ हो रहा हैं। दूसरे चरण में 1 लाख 40 हज़ार कार्यों की डीपीआर तैयार कि गई हैं। इस चरण में राज्य सरकार ने प्रदेश भर के करीब 1 लाख 40 हजार जल प्रबंधन संबंधी कार्य करने का लक्ष्य निर्धारित किया हैं।

50 ब्लॉक हुए सेफ, पहले थे 25

मुख्यमंत्री राजे के प्रयासों से राजस्थान की तस्वीर बदल गई हैं। ग्राउंड वारट एसेसमेंट की रिपोर्ट के अनुसार पहले राजस्थान  में 25 वाटर सेफ ब्लॉक थे जो कि इस अभियान के बाद अब 50 हो गये हैं।  अभियान में चयनित क्षेत्रों के जलाशय आज पानी से भरपूर हैं, सूखे कुएं, जोहड़ औऱ नलकुंपों में भी पानी आ गया हैं।

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