जयपुर। साल 2020 खत्म होने जा रहा है। इस साल में कई ऐसी घटनाएं हुईं जिन्होंने किसानों को खून के आंसू रुलाये तो राज्य सरकार के कुछ फैसलों से किसानों को आंशिक राहत भी मिली। इस साल किसानों पर टिड्डियों ने जहां फिर कहर बरपाया, वहीं बजारा खरीद को लेकर सियासत गरमायी हुई रही। सियासत के इस खेल में किसान के पल्ले अभी तक कुछ नहीं पड़ा है।
लॉकडाउन में सब्जियों और फूलों की खेती बर्बाद
इस साल लॉकडाउन की मार भी किसानों पर खूब पड़ी। लॉकडाउन में सब्जियों और फूलों की खेती पूरी तरह बर्बाद हो गई। मांग ठप होने के चलते किसानों को अपनी फसल खेतों में ही सूखने देने पर मजबूर होना पड़ा। इतना ही नहीं किसानों को उपज औने-पौने दामों में भी बेचनी पड़ी। किसानों के साथ ही पशुपालकों को भी भारी खामियाजा लॉकडाउन के दौरान उठाना पड़ा। स्थितियां यहां तक बनी की किसानों को दूध की छाछ बनाकर वापस पशुओं को ही पिलानी पड़ी।
टिड्डियों ने किसानों को किया परेशान
लॉकडाउन के दौरान सरकार की ओर से कई तरह की राहतें किसानों को दी गई। किसानों को अपनी उपज औने-पौने दामों में ना बेचनी पड़े इसके लिए उपज रहन ऋण योजना लॉन्च की गई। योजना के तहत किसानों को उपज गिरवी रखने पर 11 प्रतिशत की जगह महज 3 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण दिया गया। वहीं करीब 550 ग्राम सेवा सहकारी समितियों और क्रय विक्रय सहकारी समितियों को गौण मण्डी घोषित किया गया ताकि किसानों को उपज बेचने के लिए घर से ज्यादा दूर नहीं जाना पड़े। वहीं, प्रदेश में 2020 में बड़े स्तर पर टिड्डियों का प्रकोप हुआ जिसने किसानों को परेशान किया।