दलित संगठन का सोमवार को किया गया भारत बंद आव्हान पूरी तरह सफल कहा जा सकता है। दलित संगठन एससी—एसटी एक्ट के तहत तत्काल गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। हालांकि सरकार ने सोमवार को ही इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में फिर से चुनौती दे दी है। इसके बाद भी प्रदेश सहित पूरे देशभर में इन संगठनों की अराजकता, लूटपाट और तोड़फोड़ ने जनता का ही नुकसान किया है और इससे प्रदेश एवं देश की आम जनता ही प्रभावित हुई है।
एक रिपोर्ट के अनुसार केवल प्रदेशभर में 2500 करोड़ रूपए का कारोबार का नुकसान हुआ है। आंदोलन के नाम पर इन संगठन के लोगों ने हिंसक प्रदर्शन किया है। इस दौरान अलवर जिले के खैरथल में एक युवक की गोली लगने से मौत भी हुई है और 4 गंभीर घायल हैं। अकेले जयपुर जिले में 47 लो—फ्लोर बसों सहित 300 निजी वाहनों में तोड़फोड़ की गई है। राजस्थान में शताब्दी सहित तीन ट्रेनों को जबरन रोका गया है। देशभर में यह आंकड़ा 100 तक पहुंचा है।
अगर इन बातों को एक तरफ रख भी दिया जाए तो भी आमजन का यह आंदोलन आम जनता पर ही भारी पड़ गया है। आंदोलनकारी के चेहरे बनकर आएं इन उपद्रवियों ने जबरन व्यापारियों से अपनी दुकाने बंद कराई और ऐसा न करने पर मारपीट की। सड़कों पर चलते निर्दोष लोगों को रोक उनके वाहनों में तोड़फोड़ की। दुकानों व राह चलते वाहनों में लूटपाट भी हुई। प्रदेशभर में दर्जनों वाहन फूंक दिए गए जिनमें पुलिस वाहन भी शामिल हैं। भरतपुर में रेल रोकी गईं और पटरियां उखाड़ने की कोशिश की। कई जगहनों पर रास्ते जाम किए गए थे। यहां तक की पुलिस पर भी पथराव किया गया। व्यवस्था बनाने के चक्कर में पुलिसकर्मियों सहित 220 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है।
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जोधपुर जिले में हुए पथराव में एक एसआई गंभीर घायल हुआ है। जयपुर, बीकानेर, अलवर, दौसा, करौली, बाड़मेर, श्रीगंगानगर सहित कई जिलों में जमकर पत्थरबाजी हुई है। दौसा, भुसावर, झुंझनूं व गंगापुरसिटी में व्यापारियों से लूट की खबरें हैं। प्रदर्शनकारियों ने नागौर जिले में 28 और सीकर में डेढ़ दर्जन वाहनों को आग के हवाले कर दिया है। पथराव में एएसपी सहित आधा दर्जन घायल हुए हैं। हालात इतने बेकाबू हो गए कि गंगापुरसिटी में कफ्यू लगाना पड़ा। जबकि 10 से ज्यादा जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई।
इन सभी कृत्यों को प्रदेश की जनता ने ही आंदोलनकारियों के रूप में अंजाम दिया है। लेकिन यह भी सच है कि इन सभी के बीच प्रदेश की जनता ही पिस कर रह गई है। जो भी नुकसान है, वह जनता का ही है। केवल एक दिन में 2500 करोड़ का नुकसान कम नहीं आंका जा सकता। यह सही है कि देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सभी को दी गई है लेकिन इस तरह के क्रियाकलाप की आजादी कभी किसी को नहीं दी गई।
हालांकि सोमवार को हुआ नुकसान जल्दी ही भर जाएगा लेकिन प्रदेशवासियों के दिलों पर लगे यह घाव हमेशा के लिए ताजा ही रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को धथा बताते यह संगठन इस तरह के आंदोलन से सरकार के सामने अपनी बात नहीं रख रहे हैं, अपितु अपने ही भाईयों का नुकसान कर रहे हैं।