देश और प्रदेश के वन्यजीव प्रेमियों के लिए राजस्थान के सवाई माधोपुर ज़िले के रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से फिर एक खुशखबरी आई है। उत्तर भारत में बाघों के लिए मशहूर इस आरक्षित क्षेत्र में टी—79 बाघिन ने नन्हें शावकों को जन्म दिया है। रणथम्भौर टाइगर रिज़र्व के जोन-10 से यह खुशखबरी अभी परसों रात्रि में कैमरा रिकॉर्ड में दिखे एक नन्हें शावक के बाद सामने आयी है। यह गौरतलब है कि अभी कुछ माह पहले ही इस टाइगर रिज़र्व के जोन-6 में टी-8 बाघिन ने तीन शावकों को जन्म दिया था।
एक से ज़्यादा शावक जन्म के अनुमान:
हालांकि वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार रात्रि कैमरा ट्रैप में अभी एक ही शावक की तस्वीर दिखाई दी है, लेकिन आस-पास के क्षेत्र में एक से अधिक शावकों के फुटमार्क (पैर के निशान) मिले है। जिससे एक से ज़्यादा नन्हें शावकों के जन्म का अनुमान है। रणथम्भौर के इस सेंचुरी पार्क के फलौदी क्वारी रेंज में बाघिन T-79 ने शावकों को जन्म दिया है। यह शावक फलोदी रेंज के कुंडली नदी के पास पांड्या की तलाई में दिखाई दिया है। नन्हें शावक के नज़र आने के बाद वन विभाग की टीम ने उस क्षेत्र में मॉनिटरिंग बढ़ा दी है।
रणथम्भौर में तेजी से बढ़ा बाघों का कुनबा:
दुनियाभर में बाघों की अच्छी संख्या को लेकर जाने जाने वाला रणथम्भौर आज देश के मोस्ट फेमस टाइगर रिज़र्व में अपना स्थान रखता है। 1980 में बना यह बाघ आरक्षित क्षेत्र आज 392 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला है। इसके पास ही मानसिंह सैंक्चुअरी और कैला देवी सैंक्चुअरी भी स्थित है। यहाँ अभी दो महीने पहले तक बाघों की संख्या 62 थी। अब नए शावकों के आने से इनका कुनबा बढ़ा है। दुनिया में घटती बाघों की संख्या के बीच रणथम्भौर में तेजी से बढ़ रहे बाघों के कुनबे ने वन्यजीव विशेषज्ञों को हैरत में डाल रखा है। विशेषज्ञों के अनुसार रणथम्भौर के प्राकृतिक माहौल के साथ ही केंद्र और राज्य सरकार के प्रयासों और बाघ संरक्षण के कार्यक्रमों से भी यहाँ बाघों की संख्या बढ़ी है।
यह उल्लेखनीय है कि राजस्थान के अलवर जिले में स्थित सरिस्का टाइगर रिजर्व में जब शिकार के अतिदोहन के कारण बाघ खत्म हो गए थे, तब रणम्भौर से ही बाघों का पुर्नवास कर सरिस्का में लाया गया था। आज सरिस्का में भी रणथम्भौर के बाघों का परिवार बढ़ रहा है।
देश और दुनिया का जाना-माना टाइगर रिज़र्व:
भारत सरकार द्वारा वर्ष 1955 में सवाई माधोपुर खेल अभयारण्य के रूप में स्थापित रणथम्भौर नेशनल पार्क आज देश और दुनियाभर के वन्यजीव प्रेमियों की पसंदीदा जगह है। 1973 में भारत सरकार द्वारा शुरू किये गए प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत इसे टाइगर रिजर्व एरिया घोषित किया गया था। भारत सरकार द्वारा 1980 में रणथम्भौर को राष्ट्रीय उद्यान का दर्ज़ा दिया गया था। आज देश-विदेश के हज़ारों सैलानी वन्यजीवन को करीब से जानने के लिए प्रतिदिन यहाँ आते है।