राजस्थान के राज्य पशु ऊंट पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा हैं। रेगिस्तानी प्रदेश होने के कारण यहां ऊंट जीवन-यापन व व्यापार का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यहां के लोग ऊंट को पालते हैं और उन्ही के ज़रिए अपना जीवन-यापन करते हैं। आज भी प्रदेश में ऐसे कई परिवार हो जो केवल ऊंटों को पालने का कार्य करते हैं। रेगिस्तान का जहाज कहा जाने वाले ऊंटो पर यहां के लोगों की निर्भता जायज हैं।
ऊंट विकास योजना से होंगे संरक्षण के कार्य
ऊंटों की विलुप्ती का कारण प्रदेश में जंगलों की कमी और खुला भाग कम होना हैं। राजस्थान पहले ऊंटों का बहुत बड़ा पालक रहा है लेकिन अब चुंकि ऊटों की संख्या में गिरावट आ रही हैं तो ऊंट पालतों की संख्या में दिनोंदिन गिरावट आ रही हैं। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने हाल ही में ऊंट को संरक्षित पशु घोषित किया हैं। अब राज्य सरकार ने ऊंटों के संरक्षण के लिए अलग से विकास योजना शुरु की हैं। इस योजना के तहत राजे सरकार ऊंटो पालकों को तीन किश्तों में प्रोत्साहन राशि देंगी। राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली इस राशि से ऊंट पालक ऊंट के नर और मादा बच्चों के पालन पोषण में काम में ले सकेगा।
ऊंट राजकीय पशु घोषित
वसुंधरा सरकार ने ऊंटों की कमी को देखते हुए रेगिस्तान के जहाज कहलाने वाले ऊंट को राजकीय पशु घोषित किया हैं। ऊंटों के संरक्षण करने, वध और इनकी तस्करी पर रोक लगाने के लिए राजस्थान ऊष्ट्रवंशीय पशु वध एवं प्रतिषेध और अस्थायी प्रव्रजन एवं निर्यात का विनियमन अधिनियम 2014 बनाई हैं जिससे ऊंटों के पलायन एवं तस्करी पर रोक लगेगी।
ऊंटों की संख्य़ा में लगातार आ रही है गिरावट
राजस्थान ऊंटों के मामले में अग्रणी था लेकिन वर्तमान परिस्थितियां को देखे तो प्रदेश में खुला और वन क्षेत्र कम होने से ऊंटों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही हैं। इस गिरावट के चलते ऊंटों के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा हैं। राजस्थान सरकार इस प्रजाति को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं। ऊंटों को बचाने के लिए राजे सरकार ने ऊंट विकास योजना शुरु की हैं। इस योजना का लाभ उठाने के लिए ऊंटपालकों को नजदीकी पशु चिकित्सालय में पंजियन कराना होगा।
पंजियन ऊंट पालकों को दे रही हैं राजे सरकार प्रोत्साहन
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे प्रदेश के ऊंट पालकों को प्रोत्साहन दे रही हैं जिससे ऊंट पालकों द्वारा ऊंटों को बेचने और वध करने जैसे कार्यों में कमी आए। राजस्थान सरकार ऊंट पालकों को ऊंटों को रखने के लिए ऊंट विकास योजना के तहत लाभ दे रही हैं। ऊंट के नर या मादा बच्चे के एक माह के होने पर राज्य सरकार द्वारा प्रथम किश्त के तौर पर 3000 रुपए दिए जाने स्वीकृत हैं। ऊंट के बच्चे के नौ माह के हो जाने पर 3 हजार व 18 माह का हो जाने पर 4000 रुपए देय हैं। ऊंट पालक को कुल तीन किश्तो में राजस्थान सरकार की ओर से 10000 रुपए देय हैं। राजस्थान सरकार का यह लाभ जिले के मूल निवासी को हि दिया जाएगा। इसके अलावा यह लाभ ऊंट के एक से ज्यादा बच्चे होने पर भी देय हैं। इस योजना का लाभ अक्टुबर-2016 के बाद पैदा हुए नर व मादा बच्चों को दिया जा रहा हैं। यह लाभ सार वर्ष तक लिया जा सकेगा। राजस्थान में इस समय ऊंटों की संख्या तीन लाख 32 हजार 712 हैं।