ग्राम कोटा से मिलेंगे किसानों को नए अवसर, 2020 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लिए राज्य सरकार का एक प्रयास

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    राजधानी जयपुर में साल 2016 में हुए ग्राम ( ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट) के परिणाम सामने आ रहे है। ग्राम से प्रभावित होकर राजस्थान के किसानों ने कृषि तकनीकों में कई किस्मों के बदलावों को स्वीकार किया है। मुख्यमंत्री वसुंधरा के नेतृत्व में प्रदेश के किसानों की आय 2020 में दोगुनी करने का जो लक्ष्य रखा गया हैं अब वो दूर नही हैं। आगामी ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट (ग्राम) कोटा निवेशकों को कृषि क्षेत्र में निवेश हेतु एक उपयुक्त मंच उपलब्ध कराएगा। राज्य की कुल कृषि फसलों के उत्पादन में कोटा सम्भाग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सरसों, सोयाबीन, गेहूं व धान इस क्षेत्र में उत्पन्न होने वाली प्रमुख कृषि फसलें हैं। वर्तमान में कोटा सम्भाग में अच्छी गुणवत्ता और उच्च उपज वाली फसलों की खेती की जा रही है, लेकिन प्रोसेसिंग इंडस्ट्री काफी कम है। इस प्रकार कोटा सम्भाग में पोस्ट हार्वेस्टिंग गतिविधियों और प्रोसेसिंग के क्षेत्र के विस्तार के लिए पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं।

    विभिन्न कार्यक्रमों से किसानों को बताएंगे खेती के नए तरीके

    24 से 26 मई को कोटा में होने वाले ग्राम या किसान मेले में किसानों के लिए कई प्रकार की व्यवस्थाए की जा रही है। यहां किसानों के लिए विभिन्न प्रकार की प्रदर्शनियां, जाजम बैठके, औद्योगिक रणनितिया, सेमिनार और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए कृषि विधाओं को समझाया जाएगा। ‘ग्राम कोटा‘ के आयोजन के प्रमुख उद्देश्यों में कोटा संभाग के किसानों को कृषि क्षेत्र में उपलब्ध सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों से अवगत कराना और कोटा के कृषि विकास को गुणात्मक रूप से अगले स्तर पर ले जाना है। इस आयोजन के दौरान कृषि क्षेत्र के सभी हितधारक, कोटा व आसपास के किसान, शिक्षाविद, प्रौद्योगिकीविद, कृषि व्यवसाय कंपनियां और नीति निर्माता शामिल हैं, एक मंच पर एकत्रित होंगे।

    कोटा संभाग का प्रदेश की कृषि उत्पादों में बड़ा योगदान

    आपको बता दें कि 2015-16 में राज्य के कुल गेहूं के उत्पादन में अकेले कोटा सम्भाग का 17 प्रतिशत का योगदान था, जिससे गेहूं इस सम्भाग और राजस्थान की महत्वपूर्ण फसल बनी हुई है। हालांकि, सम्भाग के सभी चार जिलों कोटा, झालावाड़, बूंदी और बारां में गेहूं की प्रोसेसिंग सीमित स्तर पर है। स्थानीय खपत के साथ साथ बढ़ती आबादी के लिए भी गेहूं की पिसाई की इकाइयों की स्थापना के लिए बहुत अधिक अवसर मौजूद हैं। जिले में निजी उद्यमियों के लिए गेहूं की पिसाई की इकाइयों की शुरूआत किया जाना विकास का एक अन्य सम्भावित क्षेत्र है। ये मिलिंग प्लांट्स को कैंटीन्स और रेस्टोरेंट्स के लिए गेहूं की फसल की मैन्यूफेक्चरिंग व पैकेजिंग के अतिरिक्त अवसर भी प्रदान करता है।

    औद्योगिक उत्पादों में भी तलाशे जाएंगे निवेश के अवसर

    कोटा में राज्य के कुल सोयाबीन उत्पादन का लगभग दो तिहाई उत्पादन होता है। यहां सोया बेस्ड फूड, सोया पेस्ट और सॉस जैसे कई वैल्यू एडेड उत्पादों के उत्पादन में निवेश के अवसर मौजूद हैं। सोयामिल प्रोसेसिंग फैसेलिटीज में निवेश किया जाना इस क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसके अतिरिक्त सोयाबीन से बनने वाले साबून, कीटनाशक और स्याही जैसे अनेक प्रकार के औद्योगिक उत्पादों में भी निवेश के अवसर तलाशे जा सकते हैं।

    देश का सबसे बड़ा सरसौं उत्पादक है राजस्थान का कोटा

    कोटा सम्भाग में सरसों की भी मजबूत स्थिति है। देश में सरसों का सबसे बड़ा उत्पादक होने के बावजूद सम्भाग में सरसों की प्रोसेसिंग काफी सीमित स्तर पर है। ऐसे में सरसों की प्रोसेसिंग में अवसर काफी मौजूद हैं। इसमें दवा उद्योग में सरसों का उपयोग, राजस्थानी मसाले के रूप में सरसों की मार्केटिंग, खाद्य तेल बनाने के लिए कच्चे तेल को शुद्ध किया जाना और अन्य शामिल है। कोटा सम्भाग में बड़े पैमाने पर धान का उत्पादन किया जाता है। इससे पिसाई कार्यों के साथ साथ धान की प्रासेसिंग में संभावना है। स्थानीय स्तर पर उगाई गई धान को राइस ब्रॉन ऑयल और चावल का आटा जैसे वैल्यू एडेड उत्पादों के लिए प्रोसेस किया जा सकता है।

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