बीमारू से एक सशक्त, प्रगतिशील राज्य बन कर उभरा राजस्थान

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विडम्बना ये है कि जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव समीप आते जा रहे हैं, राजनैतिक खेमों में भारत के “बीमारू” राज्य पर “स्वस्थ्य” चर्चायें ज़ोर-शोर से चल रही हैं। परंतु जनता इसी कश्मकश में उलझी हुई है कि आखिर बीमार कौन है, भारत के राज्य या उन राज्यों में रहने वाले नेताओं की मानसिकता।

इस विवादास्पद शब्द का जनक कोई नेता नहीं अपितु एक अर्थशास्त्री था ।

मशहूर जनसांख्यिकीविद् एवं अर्थशास्त्री श्री आशीष बोस जी ने पहली बार सन 1980 में “बीमारू” शब्द का उपयोग अपने एक आर्थिक विवरण में किया था। तब उन्हें शायद पता नहीं था की उनका ये शब्द आगे चल के कई राजनैतिक विवादों का मुद्दा बन जायेगा, परंतु उन्होंने इस शब्द का उपयोग क्यों और किसके लिए किया था? श्री बोस के अनुसार बीमारू (BIMARU) शब्द भारत के चंद बड़े राज्यों अर्थात ‘बिहार’, ‘मध्य प्रदेश’, ‘राजस्थान’ तथा ‘उत्तर प्रदेश’ का संक्षिप्त रूप है।

इस शब्द की रचना आखिर क्यों की गई? वह इसलिए क्योंकि सन 1950 के बाद ये राज्य, भौगोलिक दृष्टि से बड़े होने के बावजूद, कई वर्षों तक विकास में पीछे रह गये। उनकी अपेक्षा दक्षिणी राज्यों ने पिछले कुछ दशकों में तेज़ी से तरक्की कर ली है । अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर किन मापदंडों के आधार पर श्री बोस जी ने इन राज्यों की बीमार स्थिति का वर्णन किया था?

किन कारणों से होते हैं राज्य बीमार?

तो सुनिये, श्री बोस ने पाँच अहम् कारणों यानि की मानव संसाधन, प्राकृतिक सम्पदा, पूँजी निर्माणकाय क्षमता, तकनीकी विकास एवं कार्यक्षम सामाजिक और राजनीतिक विकास के अभाव में इन राज्यों को बीमारू घोषित किया था। यह सभी कारण किसी भी राज्य के संपूर्ण विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बीते कई वर्षों तक उपरोक्त राज्यों का भारत की बढ़ती जनसंख्या में अहम् योगदान रहा है परंतु स्तिथियां तेज़ी से बदल रही हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान की।

विगत दो वर्षों में कुछ ऐसे बदली राजस्थान की कहानी

बीते दस सालों में पूर्व सरकार की कमज़ोर नीतियों का ख़मियाज़ा राजस्थान की जनता को उठाना पड़ा था। कृषि, उद्योग, जल संरक्षण, शिक्षा, व्यापार, परिवहन सुविधा आदि सभी क्षेत्रों के विकासकार्यों में कांग्रेस सरकार बुरी तरह विफल हुई थी। इसके फलस्वरूप राजस्थान में बिजली, पानी, अच्छे शिक्षा केंद्रों एवं कृषि संसाधनों का अभाव था। विदेशी निवेश, उद्योग, पर्यटन एवं कौशल विकास इत्यादि क्षेत्रों में भी कुछ ख़ास काम नहीं हुआ। इसके अतिरिक्त कांग्रेस ने मेट्रो परियोजना में आवश्यकता से अतिरिक्त धन व्यर्थ कर के राज्य की वित्तीय अवस्था एकदम ही ख़स्ता हालात में पहुंचा दी। एक ओर जहाँ DISCOM योजना के अन्तर्गत राजस्थान पे ऊर्जा ऋण साल दर साल बढ़ता गया, वहीं दूसरी ओर राज्य में मुफ़्त सामान वितरित कर गहलोत सरकार ने राज्य की वितीय स्तिथि कमज़ोर कर दी तथा लोगों को भी आलसी बना दिया।

इसका विपरीत दिसंबर 2013 में श्रीमती वसुंधरा राजे के सत्ता में आते ही राजस्थान के विकास में तेज़ी आ गई। भाजपा सरकार के कुशल नेतृत्व में राजस्थान ने निम्नलिखित क्षेत्रों में प्रगति की:

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1) सड़क एवं राज्यमार्ग

  • राजे ने सत्ता में आते ही जन-संपर्क सशक्त करने हेतु कई नये राजमार्गों की घोषणा की।
  • बेहतर आवागमन हेतु राज्य के कई बड़े शहर जैसे जयपुर, अजमेर, हनुमानगढ़, डूंगरपुर, करौली, प्रतापगढ़, झालावाड़, जोधपुर, कोटा, अलवर, नागौर एवं बीकानेर इत्यादि शहरों को ग्रामीण इलाकों से जोड़ने के लिए सड़क 500 किलो मीटर लंबी सड़कों के अभ्युत्थान का निर्णय लिया।
  • महिलाओं को वर्षा ऋतू में कीचड़ भरे रास्तों से होकर न जाना पड़े इस वजह से ‘ग्रामीण गौरव पथ योजना‘ की शुरुआत की गयी । इसके अन्तर्गत पहले चरण में 748 करोड़ रूपये की लागत से 1963 ग्राम पंचायतों में 1720 किलोमीटर की सड़क बनाई गयी तथा दूसरे चरण में 2 हजार ग्राम पंचायतों में अतिरिक्त ग्रामीण गौरव पथ बनाए जाएंगे। इस योजना के तर्ज़ पर बड़े शहरों को भी छोटे शहरों एवं गाँव से जोड़ा जायेगा ।
  • हज़ार से ज़्यादा ढाणी/मजरों को जोड़ने के लिए 4 हजार 293 किलोमीटर लंबी डामर सड़कों का भविष्य में निर्माण कराया जायेगा।
  • सार्वजनिक निर्माण बजट में87% की वृद्धि दर्ज की ।

2) चिकित्सा सुविधा

  • गरीब परिवारों को चिकित्सा का खर्च न उठाना पड़े इस कारण सरकार ने 465 करोड़ 86 लाख रूपये की लागत से मुफ़्त दवाईयों का वितरण किया।
  • राज्य के नागरिकों को बीमारियों से लड़ने में सशक्त करने हेतु भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के लिए अलग से 431 करोड़ रूपये का प्रावधान किया। इसके अन्तर्गत सभी ज़रूरतमंद परिवारों का निशुल्क इलाज़ किया गया।
  • त्वरित चिकित्सा सुविधाओं का लाभ पहुँचाने लिए 108 नंबर पर रोगी-वाहन सुविधा प्रारम्भ की गयी तथा मौजूदा चिकित्सालयों में उपस्थित 41,604 उपकरणों के मरम्मत कार्य की शुरुआत हुई।
  • राज्य में कुशल चिकित्सा प्रबंधन हेतु 4162 चिकित्सकों की नियुक्ति की गयी। इसके अतिरिक्त मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई के लिए सीटों की संख्यों में बढोतरी की गई।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र योजना प्रारम्भ की गयी। इसके अन्तर्गत सभी नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण एलोपैथिक और आयुर्वेदिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करायी जाएगी।
  • असाध्य एवं जटिल बीमारियों के उपचार हेतु 24 पंचकर्म केन्द्र प्रारंभ किये गये।

3) बिजली एवं पेयजल

  • बिजली के वार्षिक बजट में 192% तथा पेयजल के वार्षिक बजट में55% की वृद्धि हुई।
  • इस पूँजी की मदद से विद्युत तंत्र में सुधारकार्य किये गए। ढीले तारों को ठीक कराया गया, आड़े-टेड़े खम्भोें को सीधा कर गया, कई जगहों पर मीटर लगाए गए तथा केबल की मरम्मत की गई।
  • राज्य को बिजली उत्पादन में आत्म निर्भर बनाने हेतु सौर्य ऊर्जा एवं वायु ऊर्जा का प्रयोग किया । इन प्रयासों के कारण राजस्थान आज़,17 हजार 445 MW बिजली उत्पादन क्षमता कर सौर ऊर्जा के क्षेत्र में देश में सबसे आगे है।
  • पेयजल पूर्ती हेतु गत 2 वर्षों में राज्य सरकार ने 12 हजार करोड़ रूपये खर्च किये।
  • पानी की कमी से जूझ रहे सुदूर क्षेत्रों में मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन के अन्तर्गत 24 बड़ी पेयजल परियोजनाओं को पूरा किया गया। 3529 गाँव में वर्षा जल के सरंक्षण हेतु जौहड़, टंका, तालाब एवं भूमिगत टैंकों का निर्माण किया गया। 1192 करोड़ रूपये की लागत से 92 हजार 552 नये निर्माण कार्य कराये गए।
  • इसी परियोजना के अन्तर्गत द्वितीय चरण में 16 नवंबर उपरान्त 2100  रूपये की लागत से 4 हजार 200 नए गांवों में निर्माण कार्य कराया जायेगा।

4) कृषि, पशुपालन एवं खाद्य सामग्री वितरण

  • कृषि विकास हेतु राज्य सरकार द्वारा नवम्बर माह में GRAM (Agritech Meet) का आयोजन किया जायेगा। इस 2 दिवसीय सम्मेलन में किसान भाइयों को कृषि से जुड़े नवीनतम उपकरणों एवं तकनीकों की जानकारी देने हेतु विदेशों से कृषिविशेषज्ञ सम्मिलित होंगे।
  • किसान भाइयों को कृषि कार्य (जैसे की खेतों में मेंड़, ओसरा इत्यादि) का निर्माण तथा खेतों में नये सिंचाई संसाधन लागू करने के लिए ब्याज मुक्त ऋण दिए जाने की घोषणा की गयी।
  • इसके अतिरिक्त भामाशाह पशुधन बीमा योजना संचिलित की गयी जिसके अन्तर्गत पशुपालन हेतु किसान भाइयों को वितीय सहायता प्राप्त कराई गयी।
  • गाँवों में लोगों को शहर सामान बेहतरीन खाद्य सामग्री एवं राशन पहुँचाने के लिए 5000 अन्नपूर्णा भंडारों का निर्माण कराया गया। इन दुकानों से नागरिकों को उचित मूल्य पर शुद्ध एवं उच्च कोटि के सामान मुहैया कराये जा रहे हैं।

5) अन्य लाभकारी योजना

  • इसके अतिरिक्त सरकार ने महिला सशक्तिकरण हेतु भामा शाह योजना का प्रारम्भ किया। इस योजना के अन्तर्गत आने वाले 2 लाख परिवारों की मुख्य महिला सदस्यों को सीधा लाभ पहुँचाया गया।
  • बुजुर्ग सदस्यों को पेंशन, विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति, युवा सदस्यों को व्यापार शुरू करने हेतु वित्तीय सहायता एवं बीमारी के निदान हेतु निःशुल्क चिकित्सा मुहिया करायी गयी।
  • राज्य में महिला सदस्यों की बढ़ौतरी हेतु शुभलक्ष्मी, राजश्री एवं अपनी बेटी योजना का संचालन किया गया जिसके अतिरिक्त राज्य की सभी बेटियों को पढ़ाई हेतु धन प्राप्त कराया गया।
  • इसके अतिरिक्त राज्य में कौशल विकास एवं रोज़गार के लिए नए प्रशिक्षण केंद्रों का निर्माण किया गया।

इन सभी विकास कार्यों के लाभस्वरूप राजस्थान आज कौशल विकास के क्षेत्र में देश में अव्वल नंबर पर है। उदयपुर शहर में देश का सबसे पहला पर्यटन प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया गया। राज्य के शहरों को आपस में जोड़ने हेतु हवाई सेवा उपलब्ध कराई गयी तथा जयपुर को सीधे सिंगापुर से जोड़ने हेतु किफ़ायती हवाई सेवा की शुरुआत हुई। राज्य के लोगों की सुरक्षा हेतु महिला गश्ती दल तथा हाईवे मित्रों की स्थापना हुई। इन सभी कारणों से देश के अग्रगणी अर्थशास्री अरविन्द पांगनिया जी ने भी राजस्थान को एक बीमारू राज्य से एक स्वस्थ्य एवं प्रगतिशील राज्य में बदलने के लिए बधाई दी।

तो जैसा की आपने देखा, राजस्थान की प्रगति का ये सफर मुश्किल तो था परंतु लोगों के सहयोग, मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कुशल नेतृत्व एवं पार्टी कार्यकर्ताओं की मदद से इस असंभव लग रहे कार्य को संभव किया गया। इन दो वर्षों में राजस्थान ने जिस तेज़ी से बीमारू राज्य के शीर्षक को पीछे छोड़ते हुये तरक्की के नए मुकाम हासिल किये हैं, उससे हम यही कह सकते हैं कि आगे आने वाले समय में राजस्थान देश का सबसे प्रगतिशील, संपन्न एवं सशक्त राज्य बन कर उभरेगा।

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