रिफाइनरी का सपना होने जा रहा हैं सच, गहलोत सरकार के घाटे के सौदे को कैसे मुख्यमंत्री राजे ने बनाया फायदे का सौदा

0
4662
Oil Refinery in Barmer Rajasthan

राजस्थान का ड्रीम प्रोजेक्ट ‘बाडमेर में रिफाइनरी’ अब जल्द ही पूरा होने जा रहा हैं। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने रिफाइनरी प्रोजेक्ट में आने वाली सभी बाधाओं को दूर कर नए सिरे से इसे स्थापित करने का निर्णय लिया हैं। बाडमेर में रिफाइनरी राजस्थान का एक महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट था जो पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के अदूरदर्शी और व्यवहारिक हस्तक्षेप से राजनीति की भेंट चढ़ गया था। मुख्यमंत्री राजे ने इस प्रोजेक्ट के लिए तीन साल का समय लिया और फिर से गहन विचार विमर्श करने के बाद हिंदुस्थान पेट्रोकेमिकल कंपनी से एक माह बाद पिछली लागत से दो तिहाई कम पर लगाने के लिए एमओयू करने जा रही हैं।

बाड़मेर के पचपदरा में पेट्रोकेमिकल रिफाइनरी लगाने की घोषणा तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने की थी। कांग्रेस सरकार ने इस प्रोजेक्ट को राजनीति की भेंट चढ़ा दिया और अपने कुनबे को लाभ पहुंचा तथा आगामी 2013 के विधानसभा चुनाव के लिए वोट लेने के लिए इस भरपूर इस्तेमाल किया था। प्रदेश की जनता से रिफाइनरी के नाम पर गहलोत सरकार ने अपना स्वार्थ साधना चाहा लेकिन जयपुर मेट्रों, बाड़मेर रिफाइनरी, भीलवाड़ा में कोच फेक्ट्री, किशनगढ एयरपोर्ट जैसे कार्यों का शिलान्यास कर भी करारी हार का सामना करना पड़ा था। हार की वजह थी चुनावी साल में इस सभी प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास करना। जनता को समझ आ रहा था की कांग्रेस क्या करना चाहती हैं।

Refinery in Barmer Rajasthan

रिफाइनरी पर वर्तमान हालात

बाड़मेर में रिफाइनरी लगाने के नाम पर पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने जो खेल खेला था उसमें खुद कांग्रेसी ही उलझ कर रह गये।  14 मार्च, 2013 को बाड़मेर में रिफाइनरी पेट्रोकेमिकल कॉम्पलैक्स बनाने के लिए एमओयू हुआ था। इस प्रोजेक्ट में 37,230 करोड़ रुपये की लागत आनी थी और सालाना 90 लाख टन की क्षमता वाली यह रिफाइनरी स्थापित की जानी थी। गहलोत सरकार ने इस एमओयू में 26 फीसदी हिस्सेदारी है इसमें राज्य सरकार की, शेष 74 फीसदी हिस्सेदारी एचपीसीएल की रखी थी। रिफाइनरी स्थापित होने से गहलोत सरकार ने इससे रोजगार के सपने दिखाकर अपनी रोटियां सेकते नजर आए।

बजट में वसुंधरा राजे ने उठाए थे सवाल

रिफाइनरी को लेकर पिछली सरकार के रुख पर वसुंधरा सरकार सख्‍त तेवर दिखा चुकी है। वित्त वर्ष 2014-15 का बजट पेश करते हुए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने गहलोत की सरकार द्वारा एचपीसीएल-राजस्थान रिफाइनरी लिमिटेड को अगले 15 सालों तक हर साल 3,736 करोड़ रु. का सालाना सॉफ्ट लोन देने के लिए तैयार हो जाने पर सवाल उठाए थे। वसुंधरा ने कहा था कि महज 26 फीसदी की हिस्सेदारी वाली कंपनी को इतना बड़ा लोन राज्य की जनता पर बिना वजह का भार है। इसी मुद्दे को लेकर उन्होंने इस परियोजना को रि-निगोशिएट करने की बात कही थी।

पहले के मुकाबले ज्यादा हिस्सेदारी और सस्ती दर पर लगेगी रिफाइनरी

लंबे समय से बाड़मेर की रिफाइनरी पर छाए संशय के बादल अब छंट गए हैं। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने घोषणा की कि रिफाइनरी बाड़मेर में ही लगेगी। राजे बार बार यह कह चुकी हैं कि पिछली कांग्रेस सरकार ने रिफाइनरी का जो तकमीना तैयार किया था, वो एकदम गलत था। हमने उसे बदल दिया है। उन्होंने कहा कि रिफाइनरी बाड़मेर में ही लगेगी और यह राजस्थान के हित में होगी। मुख्यमंत्री राजे ने कहा कि एसपीसीएल के साथ किए गए सरकार के एमओयू के अनुसार 15 सालों तक प्रतिवर्ष ब्याज मुक्त ऋण के रूप में 3 हजार 736 करोड़ रुपए देने पडते लेकिन वर्तमान सरकार ने इसे 1 हजार 123 करोड़ रुपया ही देगी। इस तरह से 15 सालों में राज्य सरकार ब्याज मुक्त ऋण के रुप में 56 हजार 40 करोड़ रुपए की जगह 16 हजार 845 करोड़ रुपए ही देने होंगे। पिछली कांग्रेस सरकार ने राज्य सरकार को रिफाइनरी में 26 फीसदी इक्विटी के रुप में 3871 करोड़ की जगह 3738 करोड़ ही देय होगी।

कांग्रेस ने किया था घाटे का सौदा

रिफाइनरी, जयपुर मेट्रों जैसे प्रोजेक्ट गहलोत सरकार ले तो आई लेकिन प्रदेश की आर्थिक स्थितियों के अनुसार राजस्थान को आधारभूत सुविधाओं की ज्यादा आवश्यकता थी। गहलोत सरकार द्वारा शुरू किया गया रिफाइनरी प्रोजेक्ट प्रदेश के लिए नुकसान देह साबित होता अगर पिछली सरकार की तर्ज पर राजे सरकार काम करती तो। मुख्यमंत्री राजे ने इस प्रोजेक्ट को पूरा समय दिया और इस पर काम किया। आखिरकार राजस्थान में रिफाइनरी का सपना सच होने जा रहा हैं और पूरे राजस्थान में मुख्यमंत्री राजे की दूरदर्शिता की सरहाना की हैं।

RESPONSES

Please enter your comment!
Please enter your name here