शाहरूख खान की चक दे इंडिया फिल्म तो आपने देखी ही होगी। इस फिल्म में 16 अलग—अलग शहरों की लड़कियां एकजुट होकर हॉकी का वल्र्डकम जीतकर आती हैं। कुछ यही जज्बा है श्रीगंगानगर के एक छोटे से कस्बे पदमपुर की इन हॉकी प्लेयर्स का, जितना स्टेट की हॉकी टीम में दबदबा पूरी तरह कायम है। बाड़मेर व सिरोही में चल रही हॉकी की राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में श्रीगंगानगर की इन बेटियों ने अपने हर मैच में विपक्षी टीम को धूल चटाई है। इस टीम की खास बात यह है कि प्रतियोगिता के चारों मैच में इस टीम ने कुल 27 गोल दागे हैं लेकिन विपक्षी टीम को एक भी गोल करने का मौका नहीं दिया, जो काबिले तारीफ है। इस जिले की 52 प्लेयर्स राज्यस्तर की प्रतियोगिता में अपनी—अपनी टीम का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। गौर करें कि इन 52 में से 40 प्लेयर्स अकेले पदमपुर कस्बे की हैं। इस प्रतियोगिता में अंडर 17 की कप्तान पूजा विश्नोई हैं जिसने बाड़मेर के खिलाफ हुए मैच में 3 गोल कर अपनी टीम को जीत दिलाई थी। वहीं अंडर 19 की कप्तान सुमन मेहरा ने चित्तौड़गढ़ के खिलाफ दो गोल मारे थे।
चक दे इंडिया देखकर थामी हॉकी
बताया जाता है कि यहां हॉकी 1995 से खेली जाती है लेकिन साल 2007 में आई शाहरूख खान की हॉकी पर आधारित चक दे इंडिया फिल्म देखकर यहां की कई लड़कियों ने अपना करियर हॉकी में बनाने की ठानी और अब आलम यह है कि अंडर 14, अंडर 17 और अंडर 19 में अधिकतर लड़कियां इसी कस्बे की हैं। यहां तक की राजस्थान की वुमन हॉकी टीम में भी आधी लड़कियां यहीं से हैं। पदमपुर कस्बे की कुल जनसंख्या केवल 18,420 है लेकिन यहां की लड़कियां का हॉकी खेलने का जज्बा देखने लायक है।
स्टेडियम नहीं है लेकिन सरकारी स्कूलों में करती हैं प्रेक्टिस
पदमपुर एक छोटा सा कस्बा है जहां स्टेडियम या टफ कोर्ट नहीं है लेकिन फिर भी यहां की लड़कियां इस लेवल तक पहुंची हैं। यह सभी लड़कियां कस्बे के सरकारी स्कूल के मैदान पर या गांव की संकरी गलियों में जमकर पसीना बहाती हैं और अपने आगे का सफर तय करती है।
300 लड़कियों ने किया स्टेट टीम का प्रतिनिधित्व, 100 पहुंची नेशनल तक
पिछले 15 सालों में यहां की 300 लड़कियों ने स्टेट टीम का प्रतिनिधित्व किया है जबकि करीब 100 लड़कियों ने राष्ट्रीय टीम में अपनी जगह बनाई है। 2016 में हॉकी टीम में एकमात्र राजस्थानी प्लेयर नवदीप कौर थी जो पदमपुर से है।