राजधानी जयपुर के लिए एक सपना बनी रिंग रोड़ को अब जल्द ही धरातल पर देख सकेंगे। करीब 5 सालों से अटकी पड़ी जेडीए की रिंग रोड़ परियोजना को एक बार फिर से गति मिलेगी। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के अथक प्रयासों के बाद अब रिंग रोड़ परियोजना में आ रही बाधाओं को जल्द ही दूर किया जा सकेगा। जयपुर की जनता को यातायात के दबाव से बचाने के लिए रिंग रोड़ परियोजना को लेकर राज्य सरकार गंभीर है। राजस्थान सरकार के इस प्रोजेक्ट में केंद्र सरकार हर संभव कोशिश कर रही है। राजे सरकार ने अब राजधानी के इस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए इसकी कमान नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को सौंप रही है। राजस्थान सरकार और (एनएचएआई) के बीच करार को मंजूरी मिल गई है।
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शहरी विकास मंत्रालय से मिल चुकी है मंजूरी
आपको बतादें कि हाल ही में रिंगरोड़ के लिए गठित सेटलमेंट कमेटी की ओर से रिंग रोड़ की अनुबंधित फर्म व जेडीए के ओर से पेश किए दावे को शहरी विकास मंत्रालय ने मंजूदी प्रदान की थी । इस मंजूरी के ब द रिंगरोड़ के ड्राप्ट को केंद्रीय मंत्री को मंजूरी के लिए भेजा गया था। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नीतिन गड़करी ने पिछले दिनों राजस्थान के दौरे पर रिंग रोड़ को नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया से बनवाने में सहायता करने का आश्वाशन दिया था जिसके चलते रिंगरोड़ का यह प्रोजेक्ट हाल ही में एनएचएआई को दिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस एमओयू के बाद इसी महीने से एनएचएआई द्वारा रिंग रोड़ निर्माण की प्रक्रिया से जुड़ी कार्यवाही शुरी की जा सकती है।
मुख्यमंत्री राजे और मंत्री कृपलानी खासे उत्साहित
राजधानी जयपुर के विकास से जुड़ा रिंग रोड़ प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और शहरी विकास मंत्री श्रीचंद कृपलानी बेहद गंभीर दिखाई दे रहे है। राजस्थान सरकार का यूडीएच विभाग रिंग रोड़ प्रोजेक्ट को लेकर एनएचएआई से अपनी सभी जरूरी आवश्यकता को पूरी कर चुका है। शासन सचिवालय में एनएचएआई के साथ सरकार ने एमओयू कर पूरी जिम्मेदारी के साथ इस प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाने की कवायदों में लगी हुई है। एनएचएआई भी अनुबंधित कंपनी सेनजोस सुप्रीम टॉलवेज डवलपमेंट कंपनी के तरह ही 60 मीटर चौड़ाई में ही काम करने की प्रक्रिया शुरू कर देगी। इसमें मुख्य तौर पर कैरिज-वे (जहां से वाहन गुजरेंगे) बनेगा। जबकि रिंग रोड की चौड़ाई 90 मीटर (ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर) ही होगी। बाकी 30 मीटर में यूटिलिटी डक्ट, बीआरटीएस-एमआरटीएस पहले से ही प्रस्तावित है।