गहलोत बनाम वसुंधरा नहीं है लड़ाई, जानिए दोनों के सामने क्या-क्या चुनौतियां

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    जयपुर। प्रदेश में अगले महीने 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने वाले है। 5.2 करोड़ मतदाता अपनी नई सरकार चुनने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। एक तरफ अशोक गहलोत अपनी योजनाओं के सहारे इस उम्मीद में है कि वह प्रदेश की पुरानी सियासी परंपरा को तोड़ेंगे जिसमें एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस का चलन है, वहीं भाजपा बिना मुख्यमंत्री पद का चेहरा सामने लाए मैदान में है। पिछली बार 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 200 सदस्यीय सदन में 100 सीटों के साथ सत्ता हासिल की थी। इससे पहले 2013 विधानसभा में बीजेपी को 163 सीटों के साथ प्रचंड जीत मिली और वसुंधरा राजे सीएम बनीं थीं।

    अशोक गहलोत बनाम वसुंधरा राजे
    माना जा रहा है कि दरकिनार किये जाने के बावजूद राजस्थान में भाजपा की सबसे ताकतवर नेता वसुंधरा राजे ही हैं। दूसरी ओर 72 साल की उम्र में भी कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उन्हें चुनौती देते दिखाई दे रहे हैं। हालांकि यह सिर्फ दो उम्मीदवारों के बीच सीधी लड़ाई नहीं है। दोनों नेताओं की अपनी-अपनी पार्टियों में भी प्रतिद्वंदी हैं।

    दोनों के सामने अलग-अलग चुनौतियां
    राजस्थान में परीक्षाओं के पेपर लीक होना लगभग आम बात हो गई है। इस कार्यकाल में ही कम से कम 14 ऐसे मामले हुए हैं जब परीक्षा के पेपर लीक हुए, जिससे लगभग 1 करोड़ युवा प्रभावित हुए। राजस्थान में 48.92 लाख मतदाता पहली बार मतदान कर रहे हैं और निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं, ऐसे में उनका गुस्सा कांग्रेस को महंगा पड़ सकता है।

    वसुंधरा राजे का दावा
    राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध एक बार-बार होने वाली समस्या रही है। इस जुलाई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने आरोप लगाया कि राजस्थान में महिलाओं पर यौन उत्पीड़न से संबंधित कुल 33,000 मामले हैं, लेकिन गांधी परिवार चुप है। वसुंधरा राजे ने दावा किया है कि महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध राजस्थान में हुए हैं, जहां अकेले 54 महीनों में 10 लाख से ज्यादा घटनाएं हुईं। इस बार राज्य में 2.51 करोड़ महिला मतदाता हैं।