राजस्थान में सोमवार को अजमेर और अलवर लोकसभा तथा मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान हो चुका है। प्रदेश की इन तीनों सीटों पर करीब 78 फीसदी मतदान हुआ है। हालांकि, 2014 के आम चुनाव में हुए मतदान से इस बार मतदान 4 प्रतिशत कम हुआ है। अजमेर में 65.57 प्रतिशत, अलवर में 62 प्रतिशत तथा मांडलगढ़ में 78.68 वोटर्स ने मतदान किया। इन तीन सीटों पर कुल 42 उम्मीदवारों ने अपना भाग्य आजमाया है। राजस्थान उपचुनाव के नतीजे 1 फरवरी, 2018 को आने हैं। 38 साल में ये छठे लोकसभा उपचुनाव है, अब तक जिस पार्टी की सीट रही, जीत भी उसी के हिस्से आई। आइये जानते हैं क्या इस बार यह चुनावी ट्रेंड बदलेगा… Rajasthan Election
इस वजह से हुए हैं प्रदेश में 2 लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर उपचुनाव Rajasthan Election
अजमेर लोकसभा सीट से 2014 के आम चुनाव में जीतने वाले केन्द्रीय मंत्री सांवरलाल जाट, अलवर लोकसभा सीट से सांसद महंत चांदनाथ और भीलवाड़ा जिले की मांडलगढ़ सीट से 2013 के विधानसभा चुनाव में जीतने वाली कीर्ति कुमारी के निधन के कारण राजस्थान में इन सीटों पर उपचुनाव हुए हैं। अजमेर में भाजपा के रामस्वरूप लांबा एवं कांग्रेस के रघु शर्मा सहित कुल 23, अलवर में भाजपा के जसवंत सिंह यादव एवं कांग्रेस के करण सिंह यादव सहित 11 और मांडलगढ़ में भाजपा के शक्ति सिंह हाड़ा एवं कांग्रेस के विवेक धाकड़ सहित 8 प्रत्याशी चुनावी रण में उतरे हैं। ये तीनों ही सीटें भाजपा के खाते में थी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा इन तीनों सीटों पर वापस अपना कब्जा कर पाएगी। हालांकि, इसके लिए 1 फरवरी का इंतजार करना होगा। Rajasthan Election
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अब तक आम चुनाव में जीतने वाली पार्टी ही जीती है राजस्थान उपचुनाव में Rajasthan Election
जनसंघ के विलय व भारतीय जनता पार्टी के गठन के बाद से पिछले 38 साल में राजस्थान में ये छठी बार लोकसभा उपचुनाव हुए हैं। 1980 में गठित हुई भाजपा ने राजस्थान में पहली बार 1982 में बयाना व उदयपुर में उपचुनाव लड़ा था। अब तक के लोकसभा उपचुनाव में यह ट्रेंड सामने आया है कि जो पार्टी ने आम चुनाव में जीत दर्ज की थी, वही पार्टी उपचुनाव में जितती आई है। इस दौरान चाहे मतदान का प्रतिशत बढ़ा हो या फिर घटा हो। लेकिन जीत उसी पार्टी की हुई जो पार्टी आम चुनाव में जीती। 1982 में बयाना से कांग्रेस सांसद जगन्नाथ पहाड़िया के इस्तीफा देने और उदयपुर से कांग्रेस के ही सांसद मोहनलाल सुखाड़िया की मृत्यु के बाद उपचुनाव हुए। दोनों ही जगह कांग्रेस ने जीत दर्ज की। 1985 में चुरू से कांग्रेस सांसद मोहर सिंह की मृत्यु के बाद उपचुनाव हुआ था जिसमें कांग्रेस के ही नरेन्द्र बुढ़ानियां को जीत प्राप्त हुई। Rajasthan Election
1988 में राजस्थान में तीसरी बार लोकसभा उपचुनाव हुए। पाली लोकसभा सीट से कांग्रेस के सांसद मूलचंद डागा की मृत्यु के बाद यहां उपचुनाव हुए थे, जिसमें कांग्रेस के ही शंकरलाल शर्मा ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद प्रदेश में 2000 में उपचुनाव हुआ। 2000 में कांग्रेस के लोकप्रिय नेता और दौसा लोकसभा सीट से सांसद राजेश पायलट की एक सड़क दुर्घटना में हुई मृत्यु के बाद यहां उपचुनाव हुए। इस सीट पर हुए उपचुनाव में पायलट की पत्नी रमा ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की। इसके बाद पांचवीं बार 2001 में टोंक लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए। टोंक में भाजपा सांसद श्याम लाल बंसीवाल के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ। इसमें भाजपा के ही कैलाश मेघवाल ने जीत दर्ज की थी। अब 17 साल बाद राजस्थान में लोकसभा की दो सीटों पर उपचुनाव हुए हैं। इन चुनावों के परिणाम आने बाकी है। अब तक के उपचुनावों के नतीजों को देखते हुए भाजपा की जीत तय लगती है। लेकिन अंतिम परिणाम आने के बाद ही यह बात सच साबित होती दिखेगी या फिर इस बार उपचुनाव में ट्रेंड बदलता दिखेगा। इसके लिए परिणाम का इंतजार करना होगा। Rajasthan Election
पिछले 17 वर्षों में 17 सीटों पर हुए हैं विधानसभा चुनाव Rajasthan Election
राजस्थान में वैसे तो भाजपा के गठन के बाद अब तक कुल 46 सीटों पर विधानसभा चुनाव हुए हैं। लेकिन 2001 से अब तक 17 वर्षों में विधानसभा की 17 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं। जिसमें अब तक 10 सीटों पर भाजपा और 7 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। इनमें से 14 सीटें ऐसी रही जहां उपचुनाव में वोटों का प्रतिशत गिरा। इस बार हुए दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट के लिए उपचुनावों में नतीजे किस और होंगे यह कहना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन यह देखना वाकई दिलचस्प होगा कि 1 फरवरी को आने वाले चुनावी रिजल्ट में क्या इस बार चुनावी गणित बदलेगा या फिर हर बार की तरह इस बार भी जिस पार्टी की सत्ता उसी की जीत होगी। Rajasthan Election