राजस्थान उपचुनाव: मांडलगढ़ विधानसभा चुनाव हमेशा से ही सुर्खियों में रहा है, जानिए क्यों?

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मांडलगढ़

राजस्थान में 29 जनवरी को अजमेर व अलवर लोकसभा सीट और भीलवाड़ा जिले की मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए वोटिंग हो चुकी है। मतदान को लेकर हर वर्ग के लोगों में खासा उत्साह देखा गया। प्रदेश में तीन सीटों पर हुए उपचुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच माना जा रहा है।

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मांडलगढ़ में मुकाबला त्रिकोणीय होने की भी संभावना है। हालांकि, उपचुनावों के 1 फरवरी को आने वाले परिणाम में यह साफ हो जाएगा कौनसी सीट किस पार्टी के खाते में जाती है। अगर जनता विकास को पसंद करती है तो यह तय है कि तीनों सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों का जीतना लगभग तय माना जा रहा है। तीन सीटों पर हो रहे उपचुनावों में एकमात्र विधानसभा सीट मांडलगढ़ हमेशा से ही सुर्खियों में रही है। इसके पीछे एक खास वजह रही है। आइये जानते हैं मांडलगढ़ विधानसभा चुनाव हमेशा से ही सुर्खियों में क्यों रहे हैं…

राजस्थान को दो बार मुख्यमंत्री दिया है मांडलगढ़ विधानसभा सीट ने

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प्रदेश के भीलवाड़ा जिले का मांडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र हमेशा से ही सूर्खियों में रहता आया है। इसके पीछे की खास वजह यह है कि मांडलगढ़ विधानसभा सीट ने प्रदेश को दो बार मुख्यमंत्री दिया है। दरअसल, मांडलगढ़ राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री रहे शिवचरण माथुर का चुनावी क्षेत्र रहा है। शिवचरण माथुर यहां से 6 बार चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे थे और दो बार राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी भी हासिल की थी। हालांकि, मांडलगढ़ माथुर की जन्मस्थलि नहीं थीं, लेकिन उनका ससुराल मांडलगढ़ में था यही वजह थी कि उनका इस क्षेत्र से गहरा नाता रहा है। मांडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र में ऐसा दूसरी बार हो रहा है जब यहां उपचुनाव हो रहे हों। इससे पहले साल 1992 में शिवचरण माथुर के लोकसभा सदस्य बन जाने के बाद मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए थे।

भाजपा विधायक के निधन से खाली हुई थी मांडलगढ़ विधानसभा सीट

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2013 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां से भाजपा प्रत्याशी कीर्ति कुमारी ने जीत दर्ज की थी।विधायक कीर्ति कुमारी की डेंगू से निधन के बाद मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है। मांडलगढ़ विधानसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव में भाजपा की ओर से भीलवाड़ा जिला प्रमुख शक्ति सिंह हाड़ा, कांग्रेस ने 2013 के विधानसभा चुनाव में हारने वाले विवेक धाकड़ को अपना उम्मीदवार बनाया है। मांडलगढ़ उपचुनाव में भाग्य आजमा रहे उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला 2 लाख 31 हजार मतदाता करेंगे। मांडलगढ़ में कुल 280 मतदान केन्‍द्रों पर मतदान हो रहे हैं। मांडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र के बिजौलियां खनन क्षेत्र में करीब 7 हजार मजदूर काम करते हैं। बिजौलियां के आस—पास की 1 हजार से अधिक खानों से 2 हजार करोड़ रुपये के सेंड स्‍टोन का उत्‍पादन सालाना होता है।

मांडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र के दो बड़े कस्बे हैं बिजौलियां और बीगोद

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बिजौलियां और बीगोद दोनों कस्बे मांडलगढ़ में रोजगार के बड़े केन्द्र है। यहां करीब 10 हजार लोगों को काम मिला हुआ है। मांडलगढ़ का दूसरा बड़ा औद्योगिक कस्‍बा बिगोद है। बिगोद कोलोहा नगरी भी कहा जाता है, क्योंकि यहां 200 छोटे-बडे कारखानों में 2 हजार से अधिक मजदूर काम करते हैं। ये करीब 500 करोड़ रूपये का लोहे का सामना बनाते हैं। यही कारण है कि यहां हो रहे उपचुनाव में सभी पार्टियों ने मजदूरों और क्षेत्र के लोगों का वोट पाने के लिए अलग-अलग तरह से चुनाव प्रचार का सहारा लिया। कांग्रेस के बागी गोपाल मालवीय भी यहां से तीसरे मजबूत उम्मीदवार माने जा रहे हैं। यह भी एक वजह है कि भाजपा के लिए इस सीट पर जीतना बहुत आसान नज़र आ रहा है। हालांकि, नतीजों के परिणाम के लिए आपको 1 फरवरी का इंतजार करना होगा।

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