राजस्थान में झुंझुनू जिले के गाँव ‘घरड़ाना खुर्द’ की बेटी व ‘हाल सिंघाना’ निवासी आशा झाझडिय़ा ने सोमवार सुबह 4 बजे दुनिया के सबसे ऊंचे और दुर्गम पर्वत शिखर माउंट एवरेस्ट को फतह कर प्रदेश व देश का नाम रोशन कर दिया। 40 वर्षीय आशा ने अपनी अटल हिम्मत और जज़्बे से एवरेस्ट की कठिनाइयों को नाप डाला। इसी के साथ आशा माउंट एवरेस्ट पर फतह हासिल करने वाली राजस्थान की पहली महिला बन गई है। आशा की इस अप्रतिम उपलब्धि पर आज पूरे राजस्थान को गर्व है।
राजस्थान से लेकर हरियाणा तक छाई ख़ुशी की लहर
शेखावाटी की बेटी की इस उपलब्धि की जैसे ही खबर मिली तो झुंझुनू के गाँव ‘घरड़ाना खुर्द’ व ‘सिंघाना’ के साथ-साथ हरियाणा में स्थित उसके ससुराल में भी खुशी का माहौल छा गया। परिजनों को बधाईयां देने वालों का तांता लग गया। आशा का ससुराल हरियाणा के बलाहा खुर्द (नारनौल) में है। उनके पति अजयसिंह हरियाणा पुलिस में सहायक थानेदार के पद पर कार्यरत है। आशा स्वयं भी चिकित्सा विभाग में नर्स पद पर कार्यरत है। आशा के दो बच्चे है। आशा की इस संघर्ष भरी कामयाबी पर आज पूरा देश उत्साहित है।
जूनून से मिली कामयाबी
आशा कई सालों से एवरेस्ट शिखर पर पहुँचने का ज़ज़्बा लिए अपनी बाधाओं को पार कर रही थी। और हर दिन अपने आप को इस जूनून के लिए तैयार कर रही थी। आशा के सामने सबसे बड़ी चुनौती पैसो की थी। आशा के भाई विक्रम सिंह ने बताया कि माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए करीब 28 लाख रुपए का खर्चा आया था। गाँव की बेटी के नामुमकिन से माने जाने वाले इस सपने के आगे मुश्किलें कई आई लेकिन बावजूद इसके आशा पूरी तरह से आश्वस्त थी कि एक दिन वह देश के लिए दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह करेंगी। आशा ने 28 लाख रुपए की व्यवस्था जान-पहचान वालों, रिश्तेदारों से की। आशा ने बरसों की बचत से खोले गए अपने अपने पीएफ अकाउंट में से भी पैसे निकाले। पैसे जमा होने के बाद आशा को अपने इस सफर की अनुमति मिली।
पिता ने बढ़ाया हौंसला
नेवी से रिटायर्ड लेफ्टिनेंट मोहरसिंह झाझडिय़ा की दूसरी संतान आशा अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपने पिता को देती है। आाशा के पिता मोहरसिंह झाझडिय़ा को कई साल पहले ब्रेन हेमरेज हो गया था। उन्हीं दिनों शरीर में लकवा भी मार गया। जिस कारण उनके हाथ-पैरों ने काम करना कम कर दिया था। अपनी शारीरिक अस्वस्थता के बावजूद पिता मोहरसिंह ने बेटी आशा का हमेशा हौसला बढ़ाया। और उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
राजस्थान जो पिछले कुछ सालों पहले तक बेटियों की चिंताजनक स्थिति के लिए जाना जाता था, वहां आज जब अपने घर की बेटी और ससुराल की बहु ने यह मुकाम हासिल किया, तो यहीं की बेटियां आज दुनिया के लिए एक मिसाल बन गयी। बेटी बचाओं से लेकर बेटी बढ़ाओं की नीति पर काम करने वाली राजस्थान सरकार आज पूरे देश में नारी शक्ति का एक सकारात्मक उदाहरण पेश करती है।