गुजरात चुनाव से ठीक पहले राहुल गांधी का कांग्रेस अध्यक्ष बनना तय हो गया है। फिलहाल राहुल पार्टी के उपाध्यक्ष का पदभार संभाल रहे है। जैसाकि पता चल पाया है, कांग्रेस अध्यक्ष के लिए राहुल गांधी नामांकन करने वाले एकमात्र उम्मीदवार होंगे और नामांकन जांच के बाद 5 दिसंबर को उन्हें निर्विरोध कांग्रेस का अध्यक्ष घोषित कर दिया जाएगा। हालांकि पार्टी की कमान राहुल गांधी के हाथों में जा रही है लेकिन असली खुशी भारतीय जनता पार्टी में हो रही है। सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन यह सच है। इसकी वजह है कि राहुल गांधी का अपरिपक्व व्यवहार। भारतीय राजनीति में आए हुए भले ही राहुल गांधी को 10 साल हो चुके हैं लेकिन अभी भी उनका व्यवहार अपरिपक्व है। उनके फैसले और उनकी बाते लोगों को भले ही कुछ समय के लिए प्रभावित कर दें लेकिन राजनीति के हिसाब से व्यवहारिक बिलकुल भी नहीं हैं।
राजनीति का एक दशक पूरा करने के बाद भी राहुल गांधी प्राय
फैसले लेने में अभी भी गलतियां कर देते हैं। यही वजह है कि भाजपा सदस्यों के अनुसार कांग्रेस का नेतृत्व एक मजबूत हाथों से होकर कमजोर कंधों पर आने वाला है। कहने का मतलब सोनिया गांधी ने पार्टी की बागड़ोर पिछले 19 सालों से संभाल रखी है लेकिन राहुल गांधी राजनीति में अभी भी कच्चे नीबू बने हुए हैं जिसे अभी ओर पकना बाकी है।
नोटबंदी के दौरान राहुल गांधी का दो हजार रूपए के लिए एटीएम की लाइन में लगना और अपना फटा कुर्ता दिखाना एक कच्चे राजनेता की निशानी थी। राजस्थान में हुए विधानसभा चुनावों में करारी हार और लोकसभा में सभी 25 सीटों पर बीजेपी का कब्जा कांग्रेसी नेताओं का मनोबल पहले ही तोड़ चुके हैं। इसके अलावा, पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने इसी साल 5 राज्यों में चुनाव लड़े लेकिन कांग्रेस सरकार केवल पंजाब में ही बन पाई।
उत्तरप्रदेश में राहुल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से हाथ मिलाया लेकिन इस जुगदबंदी को योगी के हाथों मुंह की खानी पड़ी। अन्य 3 राज्यों उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में कांग्रेस को ज्यादा सीटें मिली लेकिन इसके बाद भी सरकार बीजेपी की बनी, जो हर तरीके से कांग्रेस और राहुल गांधी की हार है। अब गुजरात में चुनाव होने हैं और हिमाचल के चुनाव परिणाम आने को हैं लेकिन दोनों जगह बीजेपी की जीत तय मानी जा रही है। वजह है कि हिमालच में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे हुए हैं और गुजरात भाजपा का हमेशा से गढ़ माना जाता रहा है।
यहां राहुल गांधी का नाम एक अंधविश्वास भी जुड़ा हुआ है जो भी भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में जाता है। सभी का मानना है कि राहुल गांधी जिस भी राज्य में चुनाव प्रचाव के लिए गए, वहां हमेशा कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। उत्तरप्रदेश चुनावों में डेढ़ दशक के बाद बीजेपी की सरकार बनी है, वहां लंबे समय से समाजवादी पार्टी (सपा) का एकाधिकार रहा था। मुलायम सिंह यादव और उसके बाद अखिलेश यादव पार्टी की प्रमुख धूरी रहे हैं।
वहां राहुल ने अखिलेश से हाथ मिलाया और कई रैलियां की लेकिन अंत में बड़े अंतर से सपा और कांग्रेस दोनों को हार का मुख देखना पड़ा। राजस्थान में भी कुछ ऐसा ही हुआ था। इसके विपरीत पंजाब में राहुल ने अपना कदम नहीं रखा लेकिन वहां कांग्रेस आसानी से जीत गई। अब राहुल गांधी गुजरात में लंबे समय से जनसंवाद कर रहे हैं। अगर इसी अंधविश्वासी धारणा पर चला जाए तो यहां भी बीजेपी की जीत पक्की मानी जा रही है।
खैर जो भी हो, जब से राहुल गांधी के अध्यक्ष पद संभाले जाने की बात सामने आई है, कांग्रेस सहित भाजपा में भी खुशी व उत्साह का माहौल छाया हुआ है। कांग्रेस जहां अपना नया नेता पाकर खुश है, वहीं राहुल गांधी से जुड़ी धारणाओं को लेकर भाजपा में खुशी छाई हुई है। आपको बता दें कि गांधी—नेहरू परिवार से कांग्रेस अध्यक्ष पद पर पहुंचने वाले राहुल गांधी छठे व्यक्ति होंगे। इनसे पहले मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी पार्टी अध्यक्ष का भार संभाल चुके हैं।