लगता है कि अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी उर्फ पप्पू अब नेतागिरी छोड़कर अब ‘मुन्नाभाई’ बनने की राह पकड़ने निकल पड़े हैं। तभी तो राहुल गांधी ने बीच सदन में सत्ताधारी पार्टी और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्यार भरी जादू की झप्पी दी और मुस्कुराते हुए हाथ मिलाया। कुछ ऐसा नजारा था लोकसभा का, जहां सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखा गया था। हालांकि बहुमत हासिल किए हुए बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस सहित विपक्ष का यह कदम कामयाब न हो सका। Rahul gandhi Congress
असल में लोकसभा में राहुल गांधी को जब बोलने का मौका मिला तो उन्होंने जमकर प्रधानमंत्री पर तीखे प्रहार किए। अपने 49 मिनिट के भाषण में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री उनसे घृणा करते हैं और उनहें पप्पू कहते हैं लेकिन उनकी किसी के प्रति नाराजगी या घृणा नहीं है बल्कि वह मोदी और आरएसएस के आभारी हैं जिन्होंने उन्हें कांग्रेस और हिन्दुस्तानी होने का अर्थ सिखाया। सब से प्रेम करना और सच्चे हिन्दू होने का अर्थ सिखाया। Rahul gandhi Congress
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राहुल गांधी ने सदन में यह वायदा भी कर दिया कि उनके भाषण से गुस्से में आए हर बीजेपी सांसद को, वो प्रेम और सहनशक्ति की संस्कृति वाला कांग्रेसी भी बना लेंगे। अपनी इन बेहद प्यार भरी बातों के बाद राहुल गांधी अपनी सीट से उठे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास जाकर उनसे हाथ मिलाया और गले लग गए। संदेश यह था कि अपना स्वास्थ्य ठीक करो। मैं अपने भाषण और अपनी झप्पियों से तुम्हारी मदद करूंगा।
हालांकि इस तरह का प्रेम व्यवहार आपसी मित्रता के लिए तो ठीक है लेकिन सदन के लिहाज से बिलकुल ठीक नहीं। इसके बाद भी पप्पू बने राहुल गांधी ने गांधीगिरी दिखाते हुए मुन्नाभाई बनने की पूरजोर कोशिश की।
राजनीति में चुनाव जीतने के लिए और विरोधी को पटखनी देने के लिए साम-दाम-दंड-भेद सहित एक नेता बनने की सारी राजनीति की कलाएं आनी चाहिए, न कि विरोधियों का ह्रदय-परिवर्तन कराने की कला, जिसका प्रयास राहुल गांधी कर रहे हैं। आलू से सोना निकाल पाने की कला में तो वह पहले ही विफल हो चुके हैं। साफ कहें तो राहुल गांधी एक नेता बनने के बजाय महात्मा गांधी बनने की कोशिश करने में लगे हुए हैं, लेकिन ऐसा हो पाना बड़ा मुश्किल है।