अनूठा है राजस्थान का पुष्कर मेला: जानिए 5 अनोखी विशेषताएं

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Pushkar Mela 2017
Pushkar Camel Fair 2017

पुष्कर मेला एक विश्व प्रसिद्ध और जाना पहचाना मेला है। यह मेला राजस्थान के अजमेर जिले से 11 किमी दूर पुष्कर में लगता है जहां ​दुनिया का एकमात्र ब्रह्मा मंदिर स्थापित है। हालांकि 8 दिवसीय पुष्कर मेले की शुरूआत 23 अक्टूबर को ही हो चुकी है लेकिन अधिकारिक रूप से पुष्कर मेला 28 अक्टूबर यानि कल से शुरू होने जा रहा है। कार्तिक पूर्णिमा से शुरू होकर पुष्कर मेला अगले 8 दिन तक अपनी रंगीन छटा बिखेरेगा। राजस्थान पर्यटन एवं जिला प्रशासन की ओर से हर साल आयोजित होने वाले पुष्कर मेले का समापन 4 नवम्बर को होगा। वैसे तो पुष्कर मेला अपने आप में काफी अहमियत रखता है लेकिन इसके अलावा भी इस मेले की कई खासियत और विशेषताएं हैं जिनकी वजह से यह जाना जाता है। Pushkar Mela 2017

  1. कार्तिक पूर्णिमा का स्नान है खास 

पुष्कर मेला राजस्थान का सबसे बड़ा और पवित्र मेला है। पुष्कर को इस क्षेत्र का तीर्थराज कहा जाता है। वैसे तो पुष्कर में रोजाना ही पर्यटकों की भीड़ रहती है लेकिन पुष्कर मेले और खासतौर पर कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहां लाखों की संख्या में लोग आते हैं। उस समय पुष्कर नगरी एकदम से तीर्थनगरी बन जाती है। कार्तिक पूर्णिमा में स्नान का खास महत्व होने की वजह से यहां साधू—संतों के साथ हिन्दु धर्म के लाखों की संख्या में लोग पुष्कर झील में डूबकी लगाते हैं। इस दौरान आस्था एवं उल्लास का अनोखा संगम यहां देखने लायक होता है। Pushkar Mela 2017

Pushkar Mela 2017
Pushkar Sarovar

2. पशु मेला या ऊंट मेला 

जैसाकि पहले भी बताया है, पुष्कर मेला प्रदेश का सबसे बड़ा मेला है। इस मेले को पशु मेला व ऊंट मेला (Camel Fair) भी कहा जाता है। राजस्थान और आसपास के आदिवासी इस मेले में अपने विभिन्न नस्लों के पशुओं को लेकर पहुंचते हैं और यहां उनकी खरीद—फरोख्त भी होती है। इन सभी पशुओं में ऊंटों की संख्या ज्यादा होती है। रेत के धोरों के बीच सजे—धजे ऊंटों को देखकर एक त्यौहार जैसा ही ​नजारा दिखाई देता है। यहां ऊंटों की दौड़ का आयोजन भी​ किया जाता है जो एक रोमांच भरा अनुभव है। विभिन्न प्रकार के पशुओं की सवारी भी यहां कराई जाती है। सबसे अच्छी नस्ल के पशुओं को पुरस्कृत किया जाता है।

Pushkar Mela 2017
Camels at the Pushkar Fair

3. राजस्थान के पारम्परिक रंगों के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम 

राजस्थान की परम्परागत वेशभुषा धोती—कुर्ता और रंग—बिरंगी पगड़ी यहां का खास पहनावा है। इस मेले में आने वाले अधिकतर लोग इसी पोषाक में देखे जा सकते हैं। पर्यटन व जिला प्रशासन की ओर से इस मेले में मनोरंजन के लिए पारम्परिक लोकनृत्य, लोक संगीत, धूमर, गेर, मांड व सपेरा आदि लोकनृत्य का आयोजन किया जाता है। कांच के ग्लास, धुरी, तलवार और नुकीली ​कीलों पर 7 मटकी लेकर नृत्य करते देखना एक रोमांचकारी नजारा होता है। पशु पालकों के लिए यहां राजस्थान पर्यटन विभाग द्वारा विशेष रूप से पर्यटक गांव बनाया जाता है। इस गांव में तंबूओं में रहने की व्यवस्था की जाती है जहां सारी जरूरी सुविधाएं मौजूद होती हैं। Pushkar Mela 2017

Pushkar Mela 2017
Traditional celebrations at the Pushkar Fair

4. देसी रौनक के साथ विदेशी पर्यटकों की मौजूदगी है बेहद खास 

यहां राजस्थानी संस्कृति का तो नजारा बखूबी होता ही है, साथ ही विदेशी पर्यटक भी देसी अंदाज में यहां भारी संख्या में देखे जा सकते हैं। कुर्ता, धोती व पायजामा के साथ रंगीली पाग सिर में धरे विदेशियों का  देसी अंदाज हर किसी को भा जाता है। पुष्कर मेले में विदेशी पर्यटकों की मौजूदगी राजस्थान में होने वाले अन्य आयो​जनों की तुलना में काफी ज्यादा होती है। कहा जाता है कि पुष्कर नगरी की हवाओं में एक जादू बसा हुआ है जो लोगों को अपनी ओर खिंचता है। आंकड़ों के अनुसार साल 2015 में पुष्कर मेले में 5 लाख देसी पर्यटकों की मौजूदगी दर्ज की गई थी। विदेशी पर्यटकों की संख्या 25 हजार से ज्यादा है। इस बाद संख्या में 20 प्रतिशत बढ़ोतरी की उम्मीद है। Pushkar Mela 2017

Pushkar Mela 2017
Hot Air Balloon at Pushkar Fair 2017

5. मंदिरों की नगरी है पुष्कर 

पुष्कर नगरी को मंदिरों की नगरी भी कहा जाता है। पुष्कर झील के किनारे खड़े होकर नजारा देखने पर यह बात आसानी से समझ में आ जाती है। वैसे तो पुष्कर नगरी में छोटे—बड़े कई मंदिर है लेकिन सबसे प्रमुख 14वीं सदी में बनाया गया ब्रह्मा मंदिर सबसे खास है और हिन्दू धर्म में इसका विशेष महत्व है। पूरी दुनिया में ब्रह्म देव का यही एक इकलौता मंदिर है। पुष्कर में एक प्रसिद्ध मंदिर विद्या की देवी सरस्वती का भी है और इनके अलावा यहाँ बालाजी मंदिर, मन मंदिर, वराह मंदिर, आत्मेश्वर महादेव मंदिर आदि भी श्रद्धा के प्रमुख केंद्रों में से है। Pushkar Mela 2017

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Chief Minister Vasundhara Raje offers her prayers at Bramha Temple, Pushkar

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