बेटियों की सुरक्षा को लेकर देशभर में हाहाकार, निर्भया फंड पर सरकारों की कुंडली

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    जयपुर। राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में बेटियों से बलात्कार की घटनाओं से देशभर में निंदा की जा रही है। वहीं निर्भया कांड के बाद 2015 में शुरू किए गए निर्भया फंड पर उत्तर-प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों की सरकारें कुंडली मार कर बैठी हुई है। कुछ राज्यों में फंड की 40 फीसदी राशि भी खर्च नहीं हुई है। ऐसे में साल-दर-साल राज्यों के पास फंड की बिना खर्च की राशि बढ़ती जा रही है।

    हर साल करोड़ों रुपए दिए जा रहे हैं निर्भया फंड
    आपको बता दे कि निर्भया कांड के बाद देश में बेटियों की सुरक्षा के लिए सरकार ने कई कदम उठाए। इसके बावजूद बेटियों के साथ बलात्कार, हत्या, छेड़छाड़ जैसी घटनाएं कम नहीं हो रही है। इसके पीछे की वजह राज्य सरकारों की लापरवाही है। सरकार ने फंड बनाकर राशि दे दी, लेकिन योजनाएं बनाकर इसको खर्च करने में सरकारें भूल गई। यही वजह है कि कहने को निर्भया फंड में हर साल करोड़ों रुपए दिए जा रहे हैं, लेकिन बिना काम के यह राशि सरकारों के पास पड़ी हुई है। करीब 25 राज्यों ने फंड की 40 फीसदी राशि भी खर्च नहीं की है। जबकि तमिलनाडू ने सर्वाधिक 87.6 फीसदी और दिल्ली ने 86.19 फीसदी राशि खर्च की है।

    राज्य का कुल आवंटित खर्च प्रतिशत
    उत्तर प्रदेश में 324.98 करोड़ रुपए का आवंटित किया गया, जिसमें 216.75 करोड़ की राशि खर्च की गई जो कुल राशि का 66 प्रतिशत है। वहीं राजस्थान में 69.11 करोड़ रुपए का आवंटित किया गया, जिसमें 28.58 करोड़ की राशि खर्च की गई जो कुल राशि का 40 प्रतिशत है। और मध्य प्रदेश में 123.37 करोड़ रुपए का आवंटित किया गया, जिसमें 42.72 करोड़ की राशि खर्च की गई जो कुल राशि का 34 प्रतिशत है। वहीं सबसे ज्यादा ​तमिलनाडू में 303.06 करोड़ रुपए में से 265.53 करोड़ रुपए खर्च किए गए। दिल्ली में 409.03 करोड़ रुपए में से 352.58 करोड़ रुपए खर्च किए है।

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