भारत बंद में विफल रहने वाले विपक्ष ने संसद बंद करवाई। जनता सब देख रही है।

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28 नवम्बर को भारत बंद के विफल रहने वाले विपक्ष ने लोकसभा और राज्यसभा को बंद करवा दिया। चूंकि भारत में लोकतंत्र है और संसद के दोनों सदनों में लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुरुप ही काम करना होता है, इसलिए जब दो-चार सदस्य भी हंगामा और नारेबाजी करते हैं तो सदन की कार्यवाही रोक दी जाती है। 28 नवम्बर को विपक्षी दलों के सांसदों ने जब नोटबंदी को लेकर हंगामा किया तो दोनों सदनों की कार्यवाही 29 नवम्बर तक के लिए स्थगित कर दी गई। यानि जो विपक्ष भारत बंद करवाने में सफल नहीं हुआ, उसने संसद को बंद करवा दिया। यदि नोटबंदी पर विपक्ष को आम लोगों का समर्थन मिलता तो भारत बंद सफल हो जाता। कांग्रेस ने तो जनता के मूड को पहले ही भांप लिया था इसलिए स्वयं को बंद से अलग कर लिया। इसे कांग्रेस का सूझबूझ वाला निर्णय कहा जाएगा। ममता बनर्जी ने वामपंथियों के साथ मिलकर अपने पश्चिम बंगाल में बंद करवाने का पूरा प्रयास किया। यूपी में समाजवादी पार्टी ने बंद के बजाय जब आक्रोश प्रदर्शन किया, लेकिन इसमें आमजन के बजाय पार्टी के कार्यकर्ता ही उपस्थित रहे। इसमें कोई दो राय नहीं कि नोटबंदी से इन दिनों आम व्यक्ति परेशान है, लेकिन इसके बावजूद भी बंद का समर्थन नहीं किया गया। यानि एक तरह से नोटबंदी के फैसले का समर्थन किया गया हैं।

(एस.पी.मित्तल)

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