नोटबंदी से बेहाल आम लोगों को केंद्र सरकार जल्द बड़ी वित्तीय राहत दे सकती है। नोटबंदी से सरकारी खाते में 2.5 से 5 लाख करोड़ रुपए तक आने की संभावना है। ऐसे में यह कयासबाजी जोर पकड़ रही है कि इस बिग टिकट रिफॉर्म से खराब हुई अपनी छवि को चमकाने के लिए सरकार आम लोगों के खातों में करीब 15 हजार रुपए ट्रांसफर कर सकती है।
80 फीसदी खाताधारकों को मिलेगा नोटबंदी का लाभ
बताया जा रहा हैं कि मोदी सरकार जनधन खातों में पैसे ट्रांसफर करने पर गंभीरता से विचार कर रही है और अगर ऐसा होता है तो कुल 25.4 करोड़ जनधन खातों में से 80 फीसदी खाताधारकों को इसका लाभ मिल सकता है। इससे सरकार के राजनीतिक ही नहीं, आर्थिक मकसद भी पूरे होंगे। चुनाव के साथ ही फाइनेंशियल इन्क्लूजन प्रोग्राम भी सरकार के लिए अहम हैं।
देश के 25 करोड़ परिवारों को मिलेगा लाभ
अधिक संभावना जीरो बैलेंस खाताधारक परिवार को इसके लाभ मिलने की है। देश में इस समय लगभग 25 करोड़ परिवार हैं। सरकार तय करेगी कि सभी जनधन खातों को मिलना चाहिए या फिर एक परिवार के एक ही खाते को।
सिस्टम में लगभग 17 लाख करोड़ रुपए सर्कुलेशन में हैं। इनका 86 फीसदी हिस्सा यानी लगभग 14.5 लाख करोड़ रुपए 500 और 1000 रुपए के नोट हैं। इनमें से 8 लाख करोड़ रुपए नोटबंदी के बाद डिपोजिट के रूप में बैंक में जमा हो चुके हैं। अधिक संभावना है कि 5 लाख करोड़ रुपए तक बैंकिंग सिस्टम में वापस नहीं आए। इन्हें आरबीआई डिविडेंड के रूप में सरकार को दे देगी। सरकार इन्हीं रुपयों का एक हिस्सा खाता धारकों का देगी।
मोदी सरकार को निपटना होगा कानूनी पेंचों से
आरबीआई की ओर से जारी हर एक रुपए के प्रति उसकी लायबिलिटी बनती है। ऐसे में अपनी लायबिलिटी में कमी को डिविडेंट या प्रॉफिट बताकर सरकार को ट्रांसफर करने में कुछ कानूनी पेंच आ सकता है।
आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने इसके प्रति चेताया भी है। इसे चुनौती देने वाले कुछ पीआईएल दायर होने की भी खबर है। अगर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम जैसे लोग पीआईएल दायर करें तो सरकार के लिए मामला आसान नहीं रह जाएगा। सरकार ने इसे डिमॉनेटाइजेशन नहीं बताकर डिलीगेलाइजेशन नाम दिया है। बाकी मनी ट्रांसफर को सरकार सब्सिडी बता सकती है। इस मामले में कोई परेशानी शायद नहीं आएगी।