मुल्तानी मिट्टी के मड पैक थेरेपी से लौट रही ताज की चमक

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    Taj Mahal
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    दुनिया के सात अजूबों में से एक ताजमहल की चमक लौट रही है। दरअसल, ताज की चमक फीकी पड़ गई थी। कारण था आस-पास के इंडस्ट्रियल एरिया से निकलने वाला धुएं की परतें और पॉल्यूशन। जिसके कारण ताजमहल अपनी रंगत और सफेदी खोने लगा था। पॉल्यूशन से सफेद चमक वाले संगमरमर पर पीलापन नज़र आने लगा था। अब सरकार के प्रयासों से ताजमहल की चमक लौटने लगी है। ताजमहल विश्व के टॉप दर्शनीय स्थलों में शामिल है। यहां वर्ष भर लाखों की संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक आते हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से यहां आने वाले पर्यटक ताज को अच्छे से नहीं निहार पा रहे थे।

    आईआईटी कानपुर और अमेरिकी यूनिवर्सिटी के रिसर्च से लौट रही चमक

    एक अमेरिकी यूनिवर्सिटी और आईआईटी कानपुर के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए रिसर्च के अनुसार, संगमरमर के पत्थर से बने ताजमहल पर डीजल और जले हुए कचरे के धुएं से जमा हुई परतों के कारण ताजमहल धीरे-धीरे अपनी चमक खोने लगा था। ताजमहल के पास इंडस्ट्रियल एरिया होने से यहां हमेशा प्रदूषण रहता है। इससे ताजमहल की गुंबद और मीनारों पर धुएं से पीले रंग की परत जम गईं थी। जिससे ताजमहल अपनी सफेदी खोने लगा था और पीलापन नज़र आने लगा था। रिसर्च में यह बात सामने आने के बाद सरकार चेती और अब संगमरमर की चमक बनाए रखने के लिए मुल्तानी मिट्टी का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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    ऐसे काम करती है मुल्तानी मिट्टी वाली मड-पैक थैरेपी

    मुल्तानी मिट्टी चिकनाई और कार्बन को सोखने का काम करती है। मड-पैक थैरेपी में सबसे पहले इमारत पर मुल्तानी मिट्टी की पतली परत बिछाई जाती है। इसके बाद में परत पर प्लास्टिक शीट्स चढ़ा दी जाती है। ये परतें संगमरमर पर जमी ग्रीस और कार्बन को सोख लेती है। फिर जब मुल्तानी मिट्टी पूरी तरह सूख जाती है तो इसे डिस्टिल्ड वॉटर से साफ किए जाने का काम किया जाता है। यह तरीका पुरानी इमारतों को साफ करने का यह अब तक का सबसे सुरक्षित तरीका माना जाता है।

    2015 में शुरू किया गया था निखारने का काम, 75 प्रतिशत हो चुका है पूरा

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    आगरा स्थित ताजमहल को निखारने का काम 2015 में शुरू किया गया था। मड-पैक थैरेपी के जरिए निखारे जा रहे ताजमहल का अब तक करीब 75 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। माना जा रहा है कि बाकी का बचा काम पूरा होने में अभी करीब 8 से 10 माह लग सकते हैं। करीब 360 वर्ष पूर्व 1648 में बनी 240 फीट ऊंची और 17 एकड़ में फैली इस मुगलकालीन इमारत को मुगल शासक शाहजहां ने अपने प्रेमिका मुमताज की याद में बनवाया था। यह इमारत प्यार की निशानी के रूप में भी जानी जाती है।

    इमारत पर कीटों का प्रभाव कम करने का भी किया जा रहा है प्रयास

    राज्यसभा में ताजमहल की देखरेख पर राज्यसभा सदस्यों ने प्रश्नकाल के दौरान संगमरमर का रंग बदलने और कीटों द्वारा हो रहे नुकसान पर चिंता जाहिर की। इसके जवाब में संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने कहा कि स्मारक का रंग संरक्षित रखने के लिए मुल्तानी मिट्टी के पेस्ट से मड पैक थेरेपी की जा रही है। इस इमारत पर कीटों का प्रभाव कम करने का भी हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। मंत्री शर्मा ने आगे कहा कि इमारत के 75 प्रतिशत हिस्से पर इसका प्रयोग किया जा चुका है और उसके परिणाम दिखने भी लगे हैं।

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