जयपुर। सरकार के अध्यादेश के खिलाफ मंडी व्यापारियों की लड़ाई जारी है। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ ने अब चार दिन मंडियों मे कारोबार बंद रखने का ऐलान कर दिया है। प्रदेश की सभी 247 मंडियों में 25 अगस्त से 28 अगस्त तक व्यापार बंद रहेगा। रविवार को संघ की कार्यकारिणी और संघर्ष समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता के मुताबिक बैठक में सभी मंडियों के प्रतिनिधि और संघर्ष समिति के सदस्य मौजूद थे। सभी सदस्यों ने केन्द्र सरकार की दोहरी नीतियों का विरोध किया। मंडी व्यापारियों ने 21 अगस्त को भी अपना कारोबार बंद रखकर विरोध जताया था। 28 अगस्त को फिर से संघर्ष समिति की बैठक होगी। उसमें आन्दोलन की रुपरेखा तय होगी और इसमें बंद को आगे बढ़ाने का निर्णय भी लिया जा सकता है।
आन्दोलन को देशव्यापी बनाया जाएगा
रविवार को हुई संघ की बैठक में यह भी निर्णय हुआ कि भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल से सम्पर्क कर आन्दोलन को पूरे देश के स्तर पर उठाया जाए। राजस्थान से लगती पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ की मंडियों के पदाधिकारियों से भी इस मामले में चर्चा किए जाने का फैसला हुआ। संघ के चेयरमेन बाबूलाल गुप्ता का कहना है कि आन्दोलन केन्द्र और राज्य सरकार की नीतियों में बदलाव के लिए किया जा रहा है। अध्यादेश के विरोध में संघ ने एक और बड़ा फैसला यह लिया है कि आगामी निर्णय तक व्यापारी मण्डी समिति को मंडी सेस और कृषक कल्याण शुल्क अदा नहीं करेंगे। संघ की मांग है कि मंडियों में काम करने वाले व्यापारियों को भी मंडी सेस और अन्य लेवी से मुक्त किया जाए।
इसलिय हो रहा विरोध
आपको बता दे कि केन्द्र सरकार के जून माह में एक अध्यादेश जारी किया था। उसे लेकर मंडी व्यापारियों में रोष है। अध्यादेश के अनुसार कृषि उपज मंडियों के बाहर केवल पेन होल्डर व्यापार कर सकता है। उसे ना तो किसी तरह का मंडी लाइसेंस लेना होगा और ना ही मंडी सेस चुकाना होगा। जबकि मंडी प्रांगण में क्रय-विक्रय करने वाले व्यापारियों के लिए मंडी सेस चुकाना और लाइसेंस लेना जरुरी है। वहीं मंडी सेस और कृषक कल्याण शुल्क का भी विरोध है।