राजस्थान के चिकित्सा इतिहास का सुनहरा दिन, लिवर ट्रांसप्लांट करने में की सफलता हासिल

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    राजस्थान के सबसे बडे़ अस्पताल एसएमएस के लिए शनिवार का दिन ऐतिहासिक रहा और उसने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए लिवर ट्रांसप्लांट करने में सफलता हासिल कर ली। इसके साथ ही ब्रेन डेड दीपक ने भी 4 लोगों को नई जिंदगी दी है। देर रात तक डोनर लिवर और मरीज की विभिन्न जांचें चलीं। साथ ही किसी भी अनहोनी के लिए हवाई मार्ग से लिवर को दिल्ली ले जाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर भी तैयार किया गया था।

    एक दिन पहले ही मिली थी अंगदान की सहमति

    चिकित्सकों से मिली जानकारी के अनुसार, शुक्रवार को ही ब्रेनडेड मरीज दीपक के परिजनों ने अंगदान को लेकर सहमति दे दी थी। इसके बाद मरीज के लिवर और लिवर प्राप्त करने वाले मरीज का क्रॉस मैच कराने के साथ अन्य जांचें की गईं। जांचों में सब कुछ सही पाया गया, जिसके बाद लिवर ट्रांसप्लांट किया गया और इसके लिए दिल्ली स्थित आईएलबीएस के चार डॉक्टर्स की टीम जयपुर पहुंची, जिसने मरीज का लिवर ट्रांसप्लांट किया। मरीज को आइसोलेट करके रखा गया। इसके चलते न सिर्फ ऑपरेशन थियटर और आईसीयू तैयार किए गए बल्कि डॉक्टरों और स्टाफ को भी विशेष ट्रेनिंग दिलाई गई।

    सिरोसिस रोग से पीड़ित हैं मरीज

    एसएमएस अस्पताल में हुए इस लिवर ट्रांसप्लांट के डोनर और रेसिपिएंट दोनों जयपुर से ही हैं। हरमाड़ा के रहने वाले 26 वर्षीय युवक दीपक सड़क हादसे में घायल हो गए थे। इसके बाद वे ब्रेन डेथ घोषित कर दिया गया था। इसके बाद दीपक के परिजनों ने लिवर और किडनी दान करने की शुक्रवार को ही सहमति दे दी थी। उधर, जिस मरीज के यह ट्रांसप्लांट हुआ है, वह पिछले चार वर्षों से लिवर सिरोसिस रोग से पीड़ित था।

    19 साल के युवक के शरीर में धड़का दीपक का दिल

    ब्रेन डीड मरीज दीपक का हार्ट, लीवर, दो किडनी दान की गई थीं, जिनमें एसएमएस में शनिवार को दो किडनी का सफल ट्रांसप्लांट हो गया और दिल्ली के एम्स अस्पताल में हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया जारी है। हार्ट ट्रांसप्लांट 19 साल के एक युवक का किया जा रहा है। इसके लिए एसएमएस अस्पताल से एम्स ओटी तक हार्ट ढाई घंटे में हार्ट पहुंचाया गया, जिसमें एसएमएस अस्पताल से जयपुर एयरपोर्ट तक 7 मिनट 52 सेकंड लगे और तय समय से 12 मिनट पहले इंडिगो फ्लाइट को रवाना किया गया।

    लंबे समय से चल रही थी लिवर ट्रांसप्लांट की कवायद

    गौरतलब है की एसएमएस अस्पताल में पहले लिवर ट्रांसप्लांट के लिए काफी समय से कवायद चल रही था, लेकिन किसी न किसी कारण से अब तक लिवर ट्रांसप्लांट नहीं हो पाया था। अब उसे सफलता हाथ लग गई है।

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